
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजाद भारत के पहले और अंतिम गवर्नर-जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की 147वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। पीएम मोदी ने राजाजी की तस्वीरें साझा करते हुए उनके योगदान को याद किया और उन्हें 20वीं सदी के प्रमुख विचारकों में से एक बताया।
पीएम मोदी ने अपने शब्दों में याद किया राजाजी को
प्रधानमंत्री ने पोस्ट में लिखा—
“स्वतंत्रता सेनानी, चिंतक, बुद्धिजीवी, राजनेता—जब हम सी. राजगोपालाचारी को याद करते हैं, तो यही शब्द जेहन में आते हैं। उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। वह 20वीं सदी के उन तेजस्वी विचारकों में शामिल रहे, जो मानवीय मूल्यों और गरिमा को सर्वोपरि मानते थे। राष्ट्र उनके अविस्मरणीय योगदानों को कृतज्ञतापूर्वक स्मरण करता है।”
पीएम मोदी ने राजाजी की युवावस्था की तस्वीर, कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्ति अधिसूचना, 1920 के दशक के स्वयंसेवकों के साथ ली गई तस्वीर और ‘यंग इंडिया’ (1922) का संस्करण भी साझा किया, जिसे महात्मा गांधी के जेल में रहने के दौरान उन्होंने संपादित किया था।
राजाजी का जीवन परिचय
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जन्म 10 दिसंबर 1878 को मद्रास प्रेसीडेंसी (वर्तमान तमिलनाडु) के कृष्णागिरी जिले में हुआ था। वे वकील और बुद्धिजीवी थे और महात्मा गांधी के शुरुआती राजनीतिक साथी माने जाते थे। उन्होंने अपनी वकालत छोड़कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलनों में हिस्सा लिया।
‘राजाजी’ के नाम से प्रसिद्ध
राजाजी को उनके सक्रिय योगदान के लिए ‘राजाजी’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने रॉलेट एक्ट के विरोध, असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाई। भारत की स्वतंत्रता के बाद 15 अगस्त 1947 को वे स्वतंत्र भारत के पहले और अंतिम गवर्नर-जनरल बने। 1950 में भारत गणतंत्र बनने के साथ यह पद समाप्त कर दिया गया।
भारत रत्न और अन्य उपलब्धियाँ
- 1954 में भारत रत्न से सम्मानित
- मद्रास से कांग्रेस के टिकट पर संविधान सभा के लिए चुने गए
- अल्पसंख्यकों पर बनी उप-समिति का हिस्सा
- 1947-48 तक पश्चिम बंगाल के पहले गवर्नर रहे, जब बंगाल का विभाजन हुआ
राजाजी ने हमेशा सत्य, न्याय और देशभक्ति को सर्वोपरि माना। वे महान लेखक और विचारक भी थे, जिनकी लिखी बातें आज भी प्रेरणा देती हैं।