Wednesday, December 10

CJI सूर्यकांत के खिलाफ ‘कैंपेन’ पर भड़के 44 रिटायर्ड जज, रोहिंग्या पर रखे 5 अहम तथ्य

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सूर्यकांत के खिलाफ रोहिंग्या शरणार्थियों पर की गई टिप्पणियों को लेकर चल रहे अभियान पर अब 44 रिटायर्ड जजों ने मोर्चा संभाल लिया है। इन जजों ने सीजेआई के खिलाफ जारी प्रयासों को ‘मोटिवेटेड कैंपेन’ करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की है।

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इन रिटायर्ड जजों ने कहा कि जो देखा जा रहा है, वह केवल सैद्धांतिक असहमति नहीं बल्कि न्यायपालिका की एक रूटीन कार्रवाई को गलत तरीके से पेश करने का प्रयास है। उन्होंने लिखा, “कोर्ट की निगरानी में किसी भी इंसान के अधिकारों का सम्मान होना चाहिए, लेकिन तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना और कोर्ट पर ‘अमानवीय’ होने का आरोप लगाना न्यायपालिका को गलत साबित करने की कोशिश है।”

रिटायर्ड जजों द्वारा रखे गए रोहिंग्या के 5 महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. रोहिंग्या भारतीय कानून के तहत शरणार्थी के रूप में भारत में नहीं आए।
  2. भारत ने 1951 के यूएन रिफ्यूजी कंवेंशन और 1967 के प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
  3. गैर-कानूनी तरीके से भारत में आए लोगों ने आधार कार्ड, राशन कार्ड और अन्य दस्तावेज़ कैसे हासिल किए, यह गंभीर चिंता का विषय है।
  4. ऐसी परिस्थितियों में कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच टीम की आवश्यकता है।
  5. म्यांमार में रोहिंग्या की स्थिति भी कठिन है, जहां उन्हें नागरिकता देने से मना किया गया और उन्हें अवैध प्रवासी माना जाता रहा।

सीजेआई सूर्यकांत की टिप्पणियां

2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में ऐक्टिविस्ट रीता मनचंदा की याचिका पर सुनवाई के दौरान सीजेआई सूर्यकांत ने सवाल उठाया कि क्या घुसपैठियों का गर्मजोशी से स्वागत किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि गैर-कानूनी तरीके से दाखिल होने के बाद रोहिंग्या भोजन, पानी और शिक्षा का हक मांगने लगते हैं।

रिटायर्ड जजों ने स्पष्ट किया कि सीजेआई के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का मकसद केवल न्यायपालिका को कमजोर करना है और यह किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।

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