Wednesday, December 3

Politics

बिहार चुनाव 2025 का भूचाल: आरजेडी को लगा करारा झटका, 2030 तक राज्यसभा से हो सकती है ‘गायब’!
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बिहार चुनाव 2025 का भूचाल: आरजेडी को लगा करारा झटका, 2030 तक राज्यसभा से हो सकती है ‘गायब’!

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राजनीतिक भविष्य पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने के बावजूद पार्टी महज़ 25 सीटों पर सिमट गई। इस करारी हार का असर न सिर्फ बिहार की सियासत में दिखेगा, बल्कि इसका ‘करंट’ 2030 तक दिल्ली के संसद भवन तक महसूस किया जा सकता है। राज्यसभा में कम होता कद, 2030 में हो सकती है ‘शून्य’ उपस्थिति वर्तमान में आरजेडी के 5 राज्यसभा सदस्य हैं, लेकिन आने वाले वर्षों में एक-एक कर सभी की सदस्यता समाप्त होती जाएगी। राजनीतिक समीकरणों के मुताबिक, वर्ष 2030 तक पार्टी की राज्यसभा में उपस्थिति खत्म होने की आशंका है। यह स्थिति तीन दशकों में पहली बार देखने को मिल सकती है, जब बिहार के सबसे प्रभावशाली दलों में से एक रही आरजेडी का उच्च सदन में कोई सदस्य न बचे। कौन-कब रिटायर हो रहे हैं? आरजेडी के वर्...
2030 में RJD की मुश्किलें बढ़ेंगी? विधानसभा हार का राज्यसभा चुनावों पर पड़ सकता है बड़ा असर
Bihar, Politics, State

2030 में RJD की मुश्किलें बढ़ेंगी? विधानसभा हार का राज्यसभा चुनावों पर पड़ सकता है बड़ा असर

नई दिल्ली—बिहार विधानसभा चुनाव के अप्रत्याशित नतीजों ने न केवल राज्य की राजनीति को नए सिरे से परिभाषित किया है, बल्कि आरजेडी (RJD) के लिए आने वाले वर्षों में नई चुनौतियों के संकेत भी दे दिए हैं। राज्य में कमजोर प्रदर्शन के बाद अब 2030 में होने वाले राज्यसभा चुनावों में भी पार्टी को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। RJD की वर्तमान स्थिति और आने वाली चुनौतियां राज्यसभा में फिलहाल RJD के पाँच सदस्य हैं। इनमें से दो—प्रेम चंद गुप्ता और ए.डी. सिंह—अप्रैल 2026 में रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में पार्टी की संख्या और घटने की संभावना है।दूसरी तरफ बीजेपी के पाँच, जेडीयू के चार और कांग्रेस तथा आरएलएम के एक-एक सदस्य मौजूद हैं। 2025 के विधानसभा चुनाव में RJD ने 243 में से 143 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें मात्र 25 सीटों पर विजय मिली। पिछली बार जहाँ RJD 75 में से 45 सीटें जीतकर सबसे बड़ी विपक्षी...
परिवार से नाता तोड़ रही हूं… बिहार चुनावी हार के बाद लालू परिवार में भूचाल, रोहिणी आचार्य ने संजय यादव और रमीज का नाम लिया
Politics, State, Uttar Pradesh

परिवार से नाता तोड़ रही हूं… बिहार चुनावी हार के बाद लालू परिवार में भूचाल, रोहिणी आचार्य ने संजय यादव और रमीज का नाम लिया

पटना, 15 नवम्बर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की करारी हार ने न सिर्फ पार्टी का मनोबल तोड़ा है, बल्कि इसका सीधा असर लालू प्रसाद यादव के परिवार पर भी देखने को मिल रहा है। चुनाव में महज 25 सीटों पर सिमटने के बाद अब RJD के भीतर की कलह खुलकर सामने आ चुकी है। लालू यादव की छोटी बेटी और तेजस्वी यादव की बहन रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए राजनीति और परिवार दोनों से नाता तोड़ने का ऐलान कर सनसनी मचा दी है। रोहिणी आचार्य का बड़ा बयान—“परिवार और राजनीति दोनों छोड़ रही हूं” रोहिणी ने अपने पोस्ट में लिखा कि वे राजनीति से दूरी बना रही हैं और परिवार से भी नाता तोड़ रही हैं। उन्होंने दावा किया कि यह कदम उन्होंने राज्यसभा सांसद संजय यादव और रमीज के कहने पर उठाया है। रोहिणी ने यह भी कहा कि वे इस फैसले की पूरी जिम्मेदारी खुद ...
बिहार चुनाव परिणाम के बाद पप्पू यादव पर इस्तीफे की मांग तेज, AIMIM नेता बोले— “मर्दों वाली बात है तो इस्तीफा दो”
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बिहार चुनाव परिणाम के बाद पप्पू यादव पर इस्तीफे की मांग तेज, AIMIM नेता बोले— “मर्दों वाली बात है तो इस्तीफा दो”

लखनऊ/पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने जहां एनडीए को दोबारा सत्ता की ओर बढ़ा दिया है, वहीं पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव पर इस्तीफे का दबाव अचानक बढ़ गया है। चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि महागठबंधन का नेतृत्व कर रही कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा—कांग्रेस सिर्फ 6 सीटों पर सिमट गई। इसी बीच, AIMIM नेता और पार्टी प्रवक्ता असीम वकार ने पप्पू यादव पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें तुरंत राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। उन्होंने कहा—“पप्पू यादव खुद कहते थे कि अमौर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार जलील मस्तान जीतेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी वादा किया था कि अगर जलील मस्तान हार गए तो वो राजनीति से इस्तीफा दे देंगे। अब जब उम्मीदवार तीसरे नंबर पर आए हैं, तो पप्पू यादव मर्द हैं तो आज रात 9 बजे से पहले सांसदी से इस्तीफा दें।” अमौर सीट पर बड़ा उलटफेर सीमांचल क...
घाटशिला उपचुनाव 2025: झामुमो की रोमांचक जीत, सोमेश सोरेन ने बीजेपी के बाबूलाल सोरेन को हराया
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घाटशिला उपचुनाव 2025: झामुमो की रोमांचक जीत, सोमेश सोरेन ने बीजेपी के बाबूलाल सोरेन को हराया

रायबरेली, 14 नवम्बर 2025: झारखंड के घाटशिला विधानसभा उपचुनाव में एक बार फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की शानदार जीत ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। झामुमो उम्मीदवार सोमेश चंद्र सोरेन ने बीजेपी के उम्मीदवार बाबूलाल सोरेन को बड़ी बढ़त से हराया, यह साबित करते हुए कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में पार्टी की पकड़ अब भी मजबूत है। भावनाओं का असर: सोमेश सोरेन की जीत का आधारघाटशिला उपचुनाव में सोमेश सोरेन की जीत के पीछे सबसे बड़ा कारण भावनात्मक लहर रही। खासकर झामुमो के पक्ष में उस समय जब उनकी मां ने भावुक होते हुए अपने बेटे सोमेश को समर्थन देने की अपील की। यह भावनात्मक पहलू वोटरों पर गहरा असर डालने में सफल रहा। इसके अलावा, रामदास सोरेन की मृत्यु के बाद उपजी सिंपैथी लहर ने भी झामुमो के उम्मीदवार के पक्ष में माहौल तैयार किया। झामुमो के इस जीत में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के न...
छपरा विधानसभा चुनाव 2025: खेसारी लाल यादव के लिए स्टारडम क्यों नहीं आया काम? जानिए हार की वजहें
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छपरा विधानसभा चुनाव 2025: खेसारी लाल यादव के लिए स्टारडम क्यों नहीं आया काम? जानिए हार की वजहें

छपरा: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आ चुके हैं, और एक सीट पर खास चर्चा हो रही है—छपरा विधानसभा। यहां भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव (शत्रुघ्न यादव) राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के टिकट पर चुनाव मैदान में थे। हालांकि उनकी जीत को पहले से तय माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने भा.ज.पा. के उम्मीदवार छोटी कुमारी से हार का सामना किया। यह हार कई मायनों में चौंकाने वाली रही और अब सियासी हलकों में यह सवाल उठ रहा है कि ऐसा क्या हुआ कि एक स्टार प्रचारक को यह हार झेलनी पड़ी। चुनावी बयानों से बनी परेशानीमाना जा रहा है कि खेसारी लाल यादव के कुछ विवादास्पद बयानों ने उनके पक्ष में बने माहौल को खराब कर दिया। इन बयानों की वजह से ही चुनावी हवा भा.ज.पा. की ओर मुड़ गई। राम मंदिर पर बयान बैकफायर कर गया?खेसारी ने चुनाव प्रचार के दौरान राम मंदिर को लेकर यह बयान दिया था, "राम मंदिर में पढ़कर कोई मास्टर बनेगा क...
एनडीए की जीत के बाद नई सरकार की रूपरेखा, चिराग पासवान ने नीतीश कुमार से मुलाकात में क्या कहा?
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एनडीए की जीत के बाद नई सरकार की रूपरेखा, चिराग पासवान ने नीतीश कुमार से मुलाकात में क्या कहा?

पटना: केंद्रीय मंत्री और LJP (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने शनिवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) की विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत पर एक-दूसरे को बधाई दी और भविष्य में बनने वाली गठबंधन सरकार की रूपरेखा पर भी विस्तृत चर्चा की। चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की सराहना कीचिराग पासवान ने इस मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा, “मुझे गर्व है कि रामविलास पासवान जी द्वारा बनाई गई पार्टी आज उस मुकाम पर पहुंची है, जिसकी परिकल्पना उन्होंने की थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए के सभी घटक दलों की भूमिका को सराहा है, जो हमें अपनी मेहनत के फल के रूप में सफलता मिली।” चिराग ने नीतीश कुमार के नेतृत्व की खुले तौर पर सराहना करते हुए कहा कि बिहार चुनाव में सीटों के बंटवारे और दलों के बीच सहयोग ने एनडीए को ब...
अंता उपचुनाव में तीसरे मोर्चे की बड़ी दस्तक, बेनीवाल बोले – BJP का धड़ा कांग्रेस के साथ था
Politics, Rajasthan, State

अंता उपचुनाव में तीसरे मोर्चे की बड़ी दस्तक, बेनीवाल बोले – BJP का धड़ा कांग्रेस के साथ था

राजस्थान में अंता विधानसभा उपचुनाव के परिणामों के बाद हनुमान बेनीवाल और उनके समर्थकों द्वारा तीसरे मोर्चे के उभार को लेकर बड़े दावे किए जा रहे हैं। आरएलपी (राजस्थान लोक दल) के प्रमुख और सांसद हनुमान बेनीवाल ने उपचुनाव के नतीजों के बाद सोशल मीडिया पर यह दावा किया कि हाड़ौती क्षेत्र में तीसरे मोर्चे का प्रभाव मजबूत हुआ है। उनका कहना था कि तीसरे मोर्चे के उम्मीदवार ने केवल 100 वोटों के अंतर से भाजपा को हराया, और भाजपा का एक धड़ा कांग्रेस के उम्मीदवार के साथ खड़ा था। नरेश मीणा का था निर्दलीय समर्थनउपचुनाव में नरेश मीणा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपनी किस्‍मत आजमाई थी। नरेश मीणा, जो पहले कांग्रेस से टिकट मांग चुके थे लेकिन टिकट न मिलने पर तीसरे मोर्चे के समर्थन की ओर बढ़े, को हनुमान बेनीवाल ने खुले तौर पर समर्थन दिया। राजेंद्र सिंह गुढ़ा (पूर्व मंत्री) और आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सां...
धर्मेंद्र प्रधान: बीजेपी के धुरंधर चुनावी रणनीतिकार और नीतीश कुमार के ‘बिहारी मित्र’
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धर्मेंद्र प्रधान: बीजेपी के धुरंधर चुनावी रणनीतिकार और नीतीश कुमार के ‘बिहारी मित्र’

15 नवम्बर 2025, नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पार्टी के लिए एक ऐसे चुनावी रणनीतिकार के रूप में उभरकर सामने आए हैं, जिनका असर केवल बिहार तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि पूरे देश में उनकी योजनाओं और रणनीतियों का जलवा देखा गया है। हाल ही में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में प्रधान की अहम भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। इस जीत के पीछे उनकी रणनीतिक सूझबूझ और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ की गई दोस्ती का बड़ा हाथ था। धर्मेंद्र प्रधान का बिहार से जुड़ाव धर्मेंद्र प्रधान का बिहार से राजनीतिक जुड़ाव 2010 के विधानसभा चुनाव से शुरू हुआ था। उसी दौरान उन्होंने बिहार में दो महीने तक डेरा डाला और यहां के राजनीतिक हालात को समझा। उनके साथ उस समय नीतीश कुमार के रिश्ते भी और मजबूत हुए। यह दोस्ती 2013 में और गहरी हुई जब नीतीश कुमार ...
बिहार चुनाव 2025: वामपंथी दलों को झटका, 33 में से केवल 3 सीटें मिलीं; तालमेल की कमी या विश्वसनीयता का संकट?
Bihar, Politics, State

बिहार चुनाव 2025: वामपंथी दलों को झटका, 33 में से केवल 3 सीटें मिलीं; तालमेल की कमी या विश्वसनीयता का संकट?

पटना, 15 नवम्बर 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में वामपंथी दलों को करारा झटका लगा है। तीन दलों वाले वामपंथी गठबंधन ने इस बार 33 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसमें से केवल तीन सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई। इनमें से दो सीटें भाकपा (माले) को और एक सीट माकपा को मिली है, जबकि भाकपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई। वाम दलों के प्रदर्शन में गिरावट 2020 में वामपंथी दलों ने महागठबंधन के तहत 29 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें भाकपा (माले) को 12, भाकपा और माकपा को 2-2 सीटें मिली थीं। लेकिन 2025 के चुनाव में वाम दलों का प्रदर्शन उम्मीद से काफी नीचे गिरा। अब यह संख्या सिर्फ तीन सीटों तक सिमट गई है। हालांकि, भाकपा (माले) के संदीप सौरभ (पालीगंज) और अरुण सिंह (काराकाट) अपनी सीटें बचाने में सफल रहे, वहीं माकपा के अजय कुमार (विभूतिपुर) ने भी अपनी सीट बरकरार रखी। सीटों का नुकसान और तालमेल की कमी वामपं...