Saturday, November 15

छपरा विधानसभा चुनाव 2025: खेसारी लाल यादव के लिए स्टारडम क्यों नहीं आया काम? जानिए हार की वजहें

छपरा: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आ चुके हैं, और एक सीट पर खास चर्चा हो रही है—छपरा विधानसभा। यहां भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव (शत्रुघ्न यादव) राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के टिकट पर चुनाव मैदान में थे। हालांकि उनकी जीत को पहले से तय माना जा रहा था, लेकिन उन्होंने भा.ज.पा. के उम्मीदवार छोटी कुमारी से हार का सामना किया। यह हार कई मायनों में चौंकाने वाली रही और अब सियासी हलकों में यह सवाल उठ रहा है कि ऐसा क्या हुआ कि एक स्टार प्रचारक को यह हार झेलनी पड़ी।

चुनावी बयानों से बनी परेशानी
माना जा रहा है कि खेसारी लाल यादव के कुछ विवादास्पद बयानों ने उनके पक्ष में बने माहौल को खराब कर दिया। इन बयानों की वजह से ही चुनावी हवा भा.ज.पा. की ओर मुड़ गई।

राम मंदिर पर बयान बैकफायर कर गया?
खेसारी ने चुनाव प्रचार के दौरान राम मंदिर को लेकर यह बयान दिया था, “राम मंदिर में पढ़कर कोई मास्टर बनेगा क्या? इसके बजाय अस्पताल या कॉलेज बनना चाहिए।” यह बयान खासकर हिंदू मतदाताओं में नाराजगी का कारण बना। भाजपा ने इसे ‘राम मंदिर का अपमान’ बताते हुए जोरदार प्रचार किया और स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए। विरोध स्वरूप ‘छपरा हार: ताड़े छक्का’ जैसे गाने भी गाए गए, जिससे खेसारी की छवि को बड़ा नुकसान हुआ।

भोजपुरी कलाकारों से टकराव
खेसारी लाल यादव ने अपने ही भोजपुरी इंडस्ट्री के कलाकारों पर भी निशाना साधा था, जिनमें मनोज तिवारी, रवि किशन, दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’, और पवन सिंह शामिल थे। इन कलाकारों ने खेसारी के खिलाफ खुलकर बयान दिए, जिसके परिणामस्वरूप भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के फैंस का एक बड़ा वर्ग उनसे नाराज हो गया। यह नाराजगी उनके फैनबेस के टूटने का प्रमुख कारण बनी, जो चुनाव परिणाम पर भारी पड़ी।

मोदी-नीतीश की आंधी में उड़ गए चुनावी समीकरण
इस बार के चुनाव में, स्थानीय मुद्दों की बजाय नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की लहर का प्रभाव ज्यादा था। एनडीए की यह आंधी इतनी तेज थी कि खेसारी और उनकी पार्टी इसके सामने टिक नहीं सके। इसका सीधा फायदा भाजपा की छोटी कुमारी को मिला, जिन्होंने चुनावी समीकरण को पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिया।

‘जंगलराज अच्छा था’ वाला बयान भी पड़ा भारी
चुनावी प्रचार के दौरान खेसारी लाल यादव ने बिहार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा था, “आज के सुशासन से तो पहले का जंगलराज सही था, फिरौती देकर लोग जिंदा तो रहते थे।” इस बयान ने छपरा जैसे क्षेत्र में पुराने अपराध और अपहरण के मुद्दों को ताज़ा कर दिया। सियासी विश्लेषक त्रिलोकी नाथ दुबे के अनुसार, खेसारी का यह बयान उनके लिए नकारात्मक साबित हुआ और भाजपा ने इसे जोर-शोर से मुद्दा बना दिया। इस बयान का असर चुनाव परिणाम में साफ दिखाई दिया।

निष्कर्ष
खेसारी लाल यादव की यह हार इस बात को साबित करती है कि चुनावी जीत सिर्फ स्टारडम और प्रचार पर निर्भर नहीं होती। कभी-कभी विवादास्पद बयानों और गलत समय पर दिए गए विचार चुनावी समीकरण को पलट सकते हैं। छपरा में खेसारी की हार यही संदेश देती है कि राजनीति में सिर्फ सियासी रणनीति और सही मुद्दों की समझ ही जीत की कुंजी होती है।

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