
नई दिल्ली—बिहार विधानसभा चुनाव के अप्रत्याशित नतीजों ने न केवल राज्य की राजनीति को नए सिरे से परिभाषित किया है, बल्कि आरजेडी (RJD) के लिए आने वाले वर्षों में नई चुनौतियों के संकेत भी दे दिए हैं। राज्य में कमजोर प्रदर्शन के बाद अब 2030 में होने वाले राज्यसभा चुनावों में भी पार्टी को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
RJD की वर्तमान स्थिति और आने वाली चुनौतियां
राज्यसभा में फिलहाल RJD के पाँच सदस्य हैं। इनमें से दो—प्रेम चंद गुप्ता और ए.डी. सिंह—अप्रैल 2026 में रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में पार्टी की संख्या और घटने की संभावना है।
दूसरी तरफ बीजेपी के पाँच, जेडीयू के चार और कांग्रेस तथा आरएलएम के एक-एक सदस्य मौजूद हैं।
2025 के विधानसभा चुनाव में RJD ने 243 में से 143 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें मात्र 25 सीटों पर विजय मिली। पिछली बार जहाँ RJD 75 में से 45 सीटें जीतकर सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी बनी थी, वहीं इस बार उसका प्रदर्शन काफी कमजोर रहा। यह गिरावट भविष्य के राज्यसभा चुनावों में उसके समीकरणों को प्रभावित करेगी।
2030 में समीकरण कैसे बनेंगे?
RJD के पास 2030 में एक सीट बचाने का मौका तभी होगा जब उसे AIMIM का समर्थन मिल जाए। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी इस बार अपने सभी पाँच विधायकों को बचाने में सफल रही है, इसलिए उसकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
हालाँकि, यह अभी तय नहीं है कि AIMIM भविष्य में RJD का समर्थन करेगी या नहीं।
RJD के पाँचों राज्यसभा सदस्यों में से—
- प्रेम चंद गुप्ता व ए.डी. सिंह – रिटायर: अप्रैल 2026
- फैयाज अहमद – रिटायर: जुलाई 2028
- मनोज कुमार झा और संजय यादव – कार्यकाल: अप्रैल 2030 तक
वहीं 2028 में बीजेपी के तीन और जेडीयू व RJD के एक-एक सदस्य रिटायर होंगे, और अनुमान है कि इन पाँच सीटों पर भी NDA का कब्ज़ा हो सकता है।
2026 में पांच सीटें होंगी खाली
2026 के राज्यसभा चुनावों में कुल पाँच सीटें खाली होंगी—
- दो जेडीयू की
- एक आरएलएम की
ये दोनों NDA की सहयोगी पार्टियाँ हैं।
नई विधानसभा में NDA के स्पष्ट बहुमत के कारण वह विपक्ष के समर्थन के बिना ही सभी सीटें अपने पक्ष में कर सकता है।
चूँकि राज्यसभा चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर होते हैं, इसलिए विधानसभा में बहुमत वाली पार्टियों को सीधा फायदा मिलता है।
NDA का दबदबा बढ़ेगा, RJD होगा कमजोर
बिहार विधानसभा से राज्यसभा में कुल 16 सदस्य भेजे जाते हैं।
2025 के चुनाव नतीजों ने यह संकेत साफ कर दिया है कि आने वाले वर्षों में राज्यसभा की अधिकांश सीटों पर NDA का प्रभाव और मजबूत होगा, जबकि RJD की स्थिति और अधिक कमजोर हो सकती है।
निष्कर्षः
बिहार में RJD को मिले चुनावी झटके के प्रभाव लंबे समय तक दिखने वाले हैं। 2030 के राज्यसभा चुनाव RJD के लिए और कठिन साबित हो सकते हैं, जिससे राष्ट्रीय राजनीति में भी उसकी भूमिका सीमित होने की आशंका है।