
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 से 23 नवंबर के बीच दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में होने वाले G20 लीडर्स समिट में शामिल होंगे। इस बार यह सम्मेलन खास इसलिए है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी टैरिफ के बाद इसे बहिष्कार कर दिया है। अमेरिका की गैर-मौजूदगी भारत के लिए वैश्विक मंच पर नेतृत्व दिखाने का बड़ा अवसर प्रस्तुत करती है।
भारत के लिए अवसर
विशेषज्ञों के अनुसार, ट्रंप की गैर-मौजूदगी से भारत को ग्लोबल साउथ और विकासशील देशों के मुद्दों को उठाने का मौका मिलेगा। पीएम मोदी इस सम्मेलन के माध्यम से वैश्विक नेतृत्व की कमी को भरने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
दक्षिण अफ्रीका के उच्चायुक्त अनिल सूकलाल ने पीएम मोदी को ‘प्रभावशाली ग्लोबल लीडर’ बताते हुए कहा कि उनकी मौजूदगी दक्षिण अफ्रीका और भारत की एकजुटता को दर्शाती है।
फोकस रह सकता है ग्लोबल साउथ पर
भारत ग्लोबल साउथ से जुड़े मुद्दों पर पहले से ही नेतृत्व कर रहा है। अमेरिका की गैर-मौजूदगी में भारत विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था, आर्थिक सुधार और क्लाइमेट जस्टिस जैसे अहम मुद्दों को आगे बढ़ा सकता है। दक्षिण अफ्रीकी उच्चायुक्त ने कहा, “G20 अब किसी एक देश पर निर्भर नहीं है।”
IBSA और BRICS के साथ भारत की भूमिका
G20 समिट के बाद पीएम मोदी IBSA (भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका) की बैठक में भी शामिल होंगे। इन तीन देशों का ग्लोबल साउथ में महत्वपूर्ण स्थान है और भारत इस मंच पर वैश्विक महाशक्ति के रूप में अपनी भूमिका मजबूती से स्थापित कर चुका है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह भारत के लिए वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक नेतृत्व दिखाने का सुनहरा मौका है, जो ट्रंप के बहिष्कार से और भी महत्वपूर्ण हो गया है।