Saturday, December 27

ताइवान को हथियार बेचने पर चीन का कड़ा पलटवार, ट्रंप के फैसले से भड़का बीजिंग; 20 अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध

 

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ताइवान को हथियारों की बिक्री को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा ताइवान को 11.1 अरब डॉलर के रिकॉर्ड हथियार पैकेज की मंजूरी दिए जाने पर चीन आगबबूला हो गया है। इस फैसले के जवाब में बीजिंग ने 20 अमेरिकी रक्षा कंपनियों और 10 वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है और अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी है।

 

चीन के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि ताइवान का मुद्दा उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से जुड़ा है और यह चीन-अमेरिका संबंधों की रेड लाइन है। मंत्रालय ने साफ शब्दों में कहा कि इस सीमा को पार करने की किसी भी कोशिश का सख्त और निर्णायक जवाब दिया जाएगा।

 

20 कंपनियों पर बैन, लेकिन सीमित असर

 

चीन के विदेश मंत्रालय के अनुसार, जिन अमेरिकी रक्षा कंपनियों और अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, वे ताइवान को हथियारों की आपूर्ति में शामिल हैं। हालांकि, जानकारों का मानना है कि इन प्रतिबंधों का जमीनी स्तर पर सीमित असर होगा, क्योंकि इनमें से ज्यादातर कंपनियों का चीन में कोई बड़ा कारोबारी हित नहीं है।

 

अमेरिका से ‘रेड लाइन’ न लांघने की चेतावनी

 

बीजिंग ने अमेरिका से ‘एक-चीन सिद्धांत’ का सम्मान करने की अपील करते हुए कहा कि ताइवान को हथियारों से लैस करने की नीति बेहद खतरनाक है।

विदेश मंत्रालय ने कहा, “अमेरिका को ताइवान जलडमरूमध्य की स्थिरता को कमजोर करने, अलगाववादी ताकतों को गलत संदेश देने और उकसावे वाली कार्रवाइयों से बाज आना चाहिए।”

 

ताइवान मुद्दे पर टकराव जारी

 

चीन ताइवान को अपने क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा मानता है, जबकि अमेरिका ताइवान को सैन्य और रणनीतिक समर्थन देता रहा है। बीते कुछ समय में चीन कई बार ताइवान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की चेतावनी दे चुका है। ऐसे में अमेरिका द्वारा हथियारों की बिक्री को मंजूरी देने से हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं।

 

‘राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए कड़े कदम’

 

चीन ने दोहराया कि वह अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाता रहेगा।

बीजिंग के इस रुख से साफ है कि ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका और चीन के बीच टकराव आने वाले दिनों में और गहराने की आशंका है।

 

कुल मिलाकर, ट्रंप प्रशासन का यह फैसला न केवल ताइवान जलडमरूमध्य में अस्थिरता बढ़ा सकता है, बल्कि दुनिया की दो सबसे बड़ी ताकतों के बीच टकराव को भी और तेज कर सकता है।

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