Saturday, November 8

रेलवे, पुलिस या प्रदर्शनकारी… कौन लौटाएगा मेरी बेटी?

मुंबई ट्रेन हादसे में मारी गई हेली की मां का सवाल — “आज मेरी बेटी गई, कल किसी और की जाएगी?”

मुंबई। भीड़भाड़ वाले सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर शाम की भागदौड़ उस वक्त मातम में बदल गई, जब 19 वर्षीय हेली मोहमाया की ज़िंदगी पटरी पर थम गई।
रेलवे कर्मचारियों की अचानक हड़ताल, पुलिस की लापरवाही और यात्रियों की अफरातफरी — इन सबके बीच दो निर्दोष लोगों की मौत हो गई। सवाल अब यह है कि इस मौत का जिम्मेदार कौन है — रेलवे, पुलिस या प्रदर्शनकारी यूनियन?

🚉 सिर्फ एक घंटे की हड़ताल, लेकिन छीन ली दो जिंदगियां

घटना शुक्रवार शाम करीब 7:15 बजे सैंडहर्स्ट रोड रेलवे स्टेशन (सेंट्रल लाइन) पर हुई।
मध्य रेलवे के कर्मचारियों ने अचानक हड़ताल का ऐलान कर दिया, जिससे सेवाएं ठप हो गईं और हजारों यात्री प्लेटफॉर्म और डिब्बों में फंस गए।

इसी दौरान, अंबरनाथ जाने वाली फास्ट लोकल ट्रेन ने उन यात्रियों को टक्कर मार दी जो रुकी हुई ट्रेन से उतरकर पटरी पार कर रहे थे।
हादसे में हेली मोहमाया (19) और सूर्यकांत नाइक (45) की मौत हो गई, जबकि तीन लोग गंभीर रूप से घायल हैं।

🕊 “मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था…” — हेली की मां की करुण पुकार

हेली की मां शीतल मोहमाया का दर्द शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।
बिलखते हुए उन्होंने कहा —

“कल ही मैंने उसे फोन करके कहा था, जल्दी घर आ जा… मेरा दिल बेचैन था। अब वो कभी नहीं लौटेगी। मुझे उसका चेहरा भी आखिरी बार देखने का मौका नहीं मिला। रेलवे, पुलिस या प्रदर्शनकारी — मेरी बेटी की मौत का जिम्मेदार कौन है?”

उन्होंने सवाल उठाया —

“आज मेरी बेटी गई, कल किसी और की जाएगी। आम जनता को हर बार इसकी कीमत क्यों चुकानी पड़ती है?”

📍 कैसे हुआ हादसा

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हेली अपनी मौसी खुशबू के साथ दक्षिण मुंबई जा रही थी।
जब ट्रेन सैंडहर्स्ट रोड पर रुकी रही, तो भीड़ में घुटन महसूस कर रही दोनों महिलाएं उतरकर पैदल निकलने लगीं।
ठीक उसी वक्त हड़ताल खत्म हुई और ट्रेनें दोबारा चल पड़ीं — तभी अंबरनाथ फास्ट लोकल ने उन्हें टक्कर मार दी।

जेजे अस्पताल में हेली और सूर्यकांत नाइक को मृत घोषित किया गया।
खुशबू के हाथ में फ्रैक्चर आया है, जबकि अन्य दो यात्री — याफ़िज़ा चौगुले (62) और उनका बेटा कैफ़ (22) — निजी अस्पताल में भर्ती हैं।

🚨 क्यों हुई थी हड़ताल

जीआरपी (Government Railway Police) के अनुसार, यह अचानक हड़ताल 1 नवंबर को दर्ज की गई एफआईआर के विरोध में की गई थी।
एफआईआर में मध्य रेलवे के दो इंजीनियरों और वरिष्ठ अधिकारियों को जून में हुई एक दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था, जिसमें पांच लोगों की मौत हुई थी।

एफआईआर के खिलाफ रेलवे यूनियनों ने इसे “अनुचित कार्रवाई” बताते हुए विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
शाम करीब 5.30 बजे सीएसएमटी पर ट्रेनें रोक दी गईं, और कुछ ही देर में सेंट्रल रेलवे मेन्स यूनियन (CRMS) और NFIR के बैनरों तले कर्मचारी धरने पर बैठ गए।

इस दौरान कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई, जिससे यात्री भ्रमित होकर ट्रेनों से उतरने लगे — और यही गलती जानलेवा साबित हुई।

🏥 हेली के परिवार से मिले अधिकारी

हादसे के बाद स्थानीय विधायक अमीन पटेल ने जेजे अस्पताल जाकर हेली के परिजनों से मुलाकात की।
उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, हेली की मां ने रोते हुए कहा —

“मेरी बेटी को कौन लौटाएगा? पुलिस व्यस्त समय में विरोध प्रदर्शन करने वालों को क्यों नहीं रोक सकी?”

⚖️ जांच और जवाबदेही का सवाल

रेलवे पुलिस ने घायलों और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए हैं, लेकिन अब भी सवाल वही है —
क्या इस त्रासदी की जिम्मेदारी कोई लेगा?

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रशासन और रेलवे यूनियन दोनों अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे, तो यह घटना “व्यवस्था की असंवेदनशीलता” की प्रतीक बनकर रह जाएगी।

💬 “यह हादसा नहीं, लापरवाही की कीमत है”

मुंबई में हर दिन लाखों लोग लोकल ट्रेन से सफर करते हैं।
ऐसे में एक घंटे की हड़ताल और बिना पूर्व चेतावनी के सेवा बाधित होना — सिर्फ एक तकनीकी गड़बड़ी नहीं, बल्कि सिस्टम की असफलता है।

हेली की मौत ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या आम नागरिक की जान अब सिर्फ एक ‘शिफ्ट प्रोटेस्ट’ की कीमत रह गई है?

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