
देश की विमानन सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) के नियमित अधिकारी नहीं, बल्कि एयरलाइंस से कॉन्ट्रैक्ट पर रखे गए कैप्टन और सीनियर पायलट ही अब एयरलाइंस और उनके विमानों की सेफ्टी ऑडिट कर रहे हैं।
कैप्टनों पर क्यों निर्भर
सूत्रों के अनुसार, DGCA के नियमित अधिकारी मुख्य रूप से एयरपोर्ट और बुनियादी सुविधाओं की जांच करते हैं। वहीं, एयरलाइंस और उनके विमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इंडिगो, एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, स्पाइसजेट और अन्य एयरलाइंस से 120 से अधिक अनुभवी कैप्टन को फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर विंग में तैनात किया गया है।
क्या हैं जोखिम
विशेषज्ञों का मानना है कि इस व्यवस्था के कारण कभी-कभी सुरक्षा में समझौते का खतरा बन जाता है। हाल ही में एयर इंडिया के एक विमान के बिना उपयुक्त NOC के आठ बार टेक ऑफ करने का मामला सामने आया था, जो इस प्रणाली की संवेदनशीलता को उजागर करता है।
विशेषज्ञों की सलाह
विशेषज्ञों का सुझाव है कि DGCA को स्थायी कैडर के अधिकारियों की भर्ती बढ़ानी चाहिए, ताकि किसी भी स्तर पर चूक की संभावना कम हो और सुरक्षा मानकों की निगरानी मजबूत रहे।