
वॉशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नई नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी (NSS) में एक चौंकाने वाला प्रस्ताव रखा है। इसके तहत अमेरिका, भारत, चीन, रूस और जापान को मिलाकर एक नया वैश्विक मंच C-5 बनाने की योजना है।
NSS ड्राफ्ट के अनुसार, C-5 आर्थिक या लोकतांत्रिक मानदंडों पर आधारित नहीं होगा, बल्कि दुनिया की पांच सबसे बड़ी जनसंख्या वाले और जियो-पॉलिटिकल रूप से शक्तिशाली देशों का मंच होगा। इस समूह का उद्देश्य विश्व स्तर पर सुरक्षा, शांति और जियो-पॉलिटिकल मुद्दों का समाधान करना होगा।
G-7 का दबदबा खतरे में?
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर C-5 का गठन होता है, तो G-7 का अस्तित्व और वैश्विक प्रभाव संकट में पड़ सकता है। G-7 में अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और यूके शामिल हैं।
रूस और अमेरिका का दृष्टिकोण
ट्रंप प्रशासन ने NSS में स्पष्ट किया है कि अमेरिका वैश्विक दबदबा अकेले नहीं बनाए रख सकता, और यह अब समझदारी भी नहीं है। 2014 में रूस को G-8 से बाहर किए जाने के फैसले का ट्रंप ने विरोध किया था। उनका मानना है कि चीन और रूस को अमेरिकी नेतृत्व की जगह लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
C-5 की प्राथमिकताएँ
ड्राफ्ट के अनुसार C-5 शिखर सम्मेलन नियमित रूप से आयोजित करेगा। प्रस्तावित एजेंडा में इजरायल और सऊदी अरब के संबंधों को सामान्य करना भी शामिल है। NSS में यह भी कहा गया है कि अमेरिका को किसी देश के अंदरूनी मामलों में तभी हस्तक्षेप करना चाहिए, जब राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रत्यक्ष खतरा हो।
वैश्विक रणनीति में बदलाव
NSS में लिखा गया है कि युद्ध और संघर्षों ने कई महाद्वीपों की शांति और स्थिरता को बाधित किया। C-5 को इन चुनौतियों का सामना करने और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए “रीजनल चैंपियंस” के साथ साझेदारी करने का सुझाव दिया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि C-5 का गठन वैश्विक शक्ति संतुलन में बड़ा बदलाव ला सकता है, और G-7 जैसे पारंपरिक समूहों की भूमिका को चुनौती दे सकता है।