Monday, November 3

सरयू की तर्ज पर निखरेंगे माँ नर्मदा के घाट — पहले चरण में छह घाटों का होगा एकीकृत विकास

जबलपुर, 02 नवम्बर 2025

जबलपुर में माँ नर्मदा के पवित्र तटों को सरयू घाटों की तर्ज पर विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना अब मूर्त रूप लेने लगी है। लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह ने आज सर्किट हाउस में शहर के संतों के साथ बैठक कर इस भव्य परियोजना की विस्तृत कार्ययोजना का प्रस्तुतीकरण किया। इस अवसर पर भाजपा नगर अध्यक्ष श्री रत्नेश सोनकर और एमपीआरडीसी के प्रबंध संचालक श्री भरत यादव भी उपस्थित रहे।

प्रथम चरण में छह घाटों का समग्र विकास

परियोजना के पहले चरण में खारीघाट, दरोगाघाट, गौरीघाट, उमाघाट, सिद्धघाट और जिलहरीघाट को एकीकृत रूप से विकसित किया जाएगा। उद्देश्य है — श्रद्धालुओं को स्नान, पूजा और ध्यान का एक स्वच्छ, सुरक्षित और दिव्य वातावरण प्रदान करना।

खारीघाट व दरोगाघाट पर विशेष सुविधाएँ

खारीघाट पर खारी विसर्जन के लिए पृथक जलकुंड बनाया जाएगा, ताकि नर्मदा की मुख्य धारा प्रदूषण मुक्त रहे। श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्थित सीढ़ियाँ, चेंजिंग रूम, तीर्थ पुरोहितों के बैठने की व्यवस्था और मुंडन स्थल बनाए जाएंगे।
खारीघाट पर एक छोटा और दरोगाघाट पर एक बड़ा नाव घाट तैयार किया जाएगा। दरोगाघाट की दीवारों पर माँ नर्मदा की गाथा को दर्शाने वाले आर्टवर्क और म्युरल्स उकेरे जाएंगे।

संध्या आरती के लिए बनेगा भव्य मंच

नर्मदा घाट पर संध्या आरती हेतु पाँच भव्य मंचों का निर्माण किया जाएगा। यहाँ श्रद्धालुओं के बैठने की विशेष व्यवस्था और चौड़ी सीढ़ियाँ होंगी। वर्षा ऋतु में भी आरती का आयोजन सुचारू रूप से जारी रहे, इसके लिए कवर युक्त आरती स्थल बनाया जाएगा।

गौरीघाट पर ‘नर्मदा चैनल’ की अनूठी पहल

गौरीघाट से शुरू होकर लगभग 800 मीटर लंबा, 15 मीटर चौड़ा और 1 मीटर गहरा चैनल बनाया जाएगा, जिससे श्रद्धालु सुरक्षित रूप से स्नान और पूजन कर सकेंगे। इस चैनल के दो भाग होंगे — पहला पुष्प अर्पण एवं दीपदान के लिए और दूसरा स्नान हेतु। साथ ही गौरीघाट के प्रवेश मार्ग को अधिक चौड़ा और सुगम बनाया जाएगा।

अन्य प्रमुख निर्माण कार्य

घाटों पर स्थित छोटे-बड़े मंदिरों को पुनःस्थापित कर एकरूपता प्रदान की जाएगी। सिद्धघाट पर गोमुख से प्रवाहित प्राकृतिक जलधारा को यथावत रखा जाएगा। तीर्थ पुरोहितों, पूजन सामग्री विक्रेताओं और श्रद्धालुओं के लिए सुव्यवस्थित स्थान और निर्माल्य विसर्जन कुंड का निर्माण होगा। जिलहरीघाट पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए विशाल मंच और नाव घाट की भी व्यवस्था की जाएगी।

पार्किंग और पैदल पथ की नई व्यवस्था

घाटों के पास पाँच स्थानों पर 900 दोपहिया और 700 चारपहिया वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी। गौरीघाट में वाहनों का प्रवेश वर्जित रहेगा और ड्रॉपिंग प्वाइंट से घाट तक का मार्ग पैदल पथ में बदला जाएगा, जहाँ वृद्ध और दिव्यांगजनों के लिए ई-कार्ट सुविधा उपलब्ध होगी। इस मार्ग पर आकर्षक दुकानें और स्वागत द्वार भी बनाए जाएंगे।

पर्यावरण संरक्षण और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता

संपूर्ण घाट क्षेत्र में सौर ऊर्जा चालित एलईडी लाइटें, अंडरग्राउंड ड्रेनेज सिस्टम, एंटी-स्किड पत्थर और वॉटर जेट क्लीनिंग सिस्टम लगाए जाएंगे। सुरक्षा के लिए वॉच टावर और संयुक्त कंट्रोल रूम की स्थापना की जाएगी।

लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह ने कहा —

“माँ नर्मदा की सेवा हमारे लिए सौभाग्य और पुण्य अवसर है। यह परियोजना जबलपुर की पहचान को नई ऊँचाइयाँ देगी और आस्था को सरयू की तर्ज पर नई भव्यता प्रदान करेगी।”

यह नर्मदा तटों का विकास न केवल धार्मिक पर्यटन को नई दिशा देगा, बल्कि जबलपुर को “नर्मदा तीर्थ के आध्यात्मिक केंद्र” के रूप में राष्ट्रीय पहचान भी दिलाएगा।

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