Wednesday, December 3

हाईकोर्ट की नसीहत ने बदली बेटी की सोच: पढ़ाई रोकने वाले पिता के साथ रहने को हुई तैयार

जबलपुर: मध्य प्रदेश की एक युवती, जो आईएएस बनने का सपना देख रही थी, पढ़ाई रोकने और घर में दबाव बनाए जाने के कारण घर छोड़कर इंदौर चली गई। लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की युगलपीठ की नसीहत के बाद वह पिता के साथ रहने के लिए तैयार हो गई।

मामला क्या था
भोपाल के बजरिया थाना क्षेत्र के पिता ने अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका हाईकोर्ट में दायर की। सुनवाई के दौरान पता चला कि युवती इंदौर में एक निजी कंपनी में नौकरी कर रही थी और साथ ही सिविल सर्विसेज की तैयारी भी कर रही थी। युवती ने कोर्ट को बताया कि पिता उसे पढ़ाई नहीं करने दे रहे थे और शादी का दबाव बना रहे थे।

हाईकोर्ट की नसीहत का असर
हाईकोर्ट की युगलपीठ—चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ—ने युवती को अपने पिता के साथ चार-पांच दिनों तक रहने की नसीहत दी, ताकि माहौल देखकर निर्णय लिया जा सके। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि यदि माहौल अनुकूल नहीं हुआ तो कलेक्टर को आदेश देंगे कि युवती की पढ़ाई और सुरक्षित रहने की उचित व्यवस्था की जाए।

बेटी ने माना पिता के साथ रहना
हाईकोर्ट की नसीहत के बाद युवती अपने पिता के साथ रहने के लिए तैयार हो गई। पिता ने न्यायालय को भरोसा दिलाया कि वे अपनी बेटी को कोई प्रताड़ना नहीं देंगे। इसके बाद कोर्ट ने याचिका का निराकरण कर दिया।

सपना आईएएस बनने का
युवती ने बताया कि वह अपनी मेहनत और लगन से सिविल सर्विसेज में जाने का सपना संजोए हुए है और अब पिता के साथ सुरक्षित माहौल में रहकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ सकेगी।

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