
नई दिल्ली। AI की दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी AI मॉडल को अंतरिक्ष में ट्रेन किया गया और उसने धरतीवासियों के लिए संदेश भेजा। यह उपलब्धि अमेरिकी स्टार्टअप StarCloud ने हासिल की है। हाल ही में लॉन्च हुए Starcloud-1 सैटेलाइट में AI मॉडल ने संदेश भेजा—“नमस्ते धरती वालों! या यूं कहूं कि नीले-हरे रंग का खूबसूरत गोला।”
यह AI मॉडल गूगल के Gemma मॉडल का उन्नत वर्जन है, जिसे Nvidia के शक्तिशाली H100 GPU की मदद से अंतरिक्ष में चलाया गया। इसके जरिए भविष्य में लोग AI मॉडल से वन-टू-वन बातचीत कर सकेंगे और उसकी लाइव लोकेशन भी जान पाएंगे।
भविष्य में डेटा सेंटर भी अंतरिक्ष में होंगे
फिलहाल यह सिर्फ एक छोटा मॉडल है, लेकिन आने वाले सालों में पूरे डेटा सेंटर अंतरिक्ष में शिफ्ट हो सकते हैं। इससे धरती पर बिजली और पानी की खपत कम होगी और AI सेवाएँ सस्ती और तेज़ हो जाएंगी। अंतरिक्ष में 24 घंटे सूरज की रोशनी मिलने के कारण सोलर पावर हमेशा उपलब्ध रहेगी और डेटा तेज़ी से आ-जा सकेगा।
फायदे और चुनौतियाँ
StarCloud के सीईओ फिलिप जॉनस्टन के मुताबिक अंतरिक्ष में डेटा सेंटर का खर्च धरती की तुलना में 10 गुना कम होगा। साथ ही अंतरिक्ष में जगह भी अधिक है, जिससे बड़े डेटा सेंटर बनाए जा सकते हैं। हालांकि, तेज रेडिएशन, अंतरिक्ष कचरा और महंगी मरम्मत जैसी चुनौतियाँ अभी भी मौजूद हैं। सैटेलाइटों की जीवन अवधि लगभग 5 साल के आसपास हो सकती है।
धरती पर डेटा सेंटर की समस्या
धरती पर बड़े डेटा सेंटर बिजली और पानी की भारी खपत करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2026 तक इनकी बिजली खपत दोगुनी हो जाएगी। सोलर और विंड एनर्जी विकल्पों के बावजूद रात में सूरज और हर समय हवा उपलब्ध नहीं होती, इसलिए ज्यादातर बिजली अभी भी कोयला या गैस से बन रही है।
AI के अंतरिक्ष में प्रशिक्षण ने टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक नया अध्याय खोला है। यह सिर्फ शुरुआत है और आने वाले वर्षों में यह हमारे डिजिटल और भौतिक जीवन दोनों को पूरी तरह बदल सकता है।