Wednesday, December 3

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: अजित पवार की एनसीपी को झटका, 13 उम्मीदवारों की जमानत जब्त
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: अजित पवार की एनसीपी को झटका, 13 उम्मीदवारों की जमानत जब्त

पटना/मुंबई: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अजित पवार की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को बड़ा झटका लगा है। एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ी एनसीपी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। पार्टी ने कुल 15 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिनमें से 13 की जमानत जब्त हो गई। अजित पवार की पार्टी को महज 0.02% वोट ही मिले, जिससे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करने का उनका सपना चूर हो गया। नतीजे चौंकाने वाले नतीजों के मुताबिक, एनसीपी के अधिकांश उम्मीदवारों को एक हजार वोट भी नहीं मिले। कुछ सीटों पर तो स्थिति इतनी खराब रही कि उम्मीदवारों को 500 वोट से भी कम मिले। सासाराम में एनसीपी के उम्मीदवार आशुतोष सिंह को मात्र 212 वोट मिले, जबकि नोटा को 369 वोट मिले। नौतन के उम्मीदवार जय प्रकाश को सिर्फ 186 वोट ही मिल पाए। इसके अलावा मनिहारी में सैफ अली खान को 2057 वोट, पारसा में बिपिन सिंह को 435 वोट, महुआ में...
बिहार के नतीजों ने बढ़ाया यूपी बीजेपी का हौसला, अब मिशन उत्तर प्रदेश पर फोकस
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बिहार के नतीजों ने बढ़ाया यूपी बीजेपी का हौसला, अब मिशन उत्तर प्रदेश पर फोकस

बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की शानदार जीत ने उत्तर प्रदेश बीजेपी के नेताओं के हौसले को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। खासकर 2024 लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद, इस जीत ने 2027 में होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की उम्मीदों को फिर से जगाया है। यूपी के नेताओं ने भी बिहार चुनाव में अहम भूमिका निभाई थी, और अब उनका मानना है कि इस सफलता का असर यूपी में भी देखा जाएगा। यूपी के नेताओं का बढ़ा कद बिहार चुनाव के बाद यूपी के नेताओं की अहमियत भी बढ़ गई है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को बिहार चुनाव के लिए सह प्रभारी बनाया गया था, और उन्होंने चुनावी रणनीति तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि ओबीसी वोटरों को जोड़ने में उन्हें सफलता मिली। मौर्य ने मुजफ्फरपुर से 78 सीटों पर अपनी कमान संभाली थी। इसके साथ ही, अन्य यूपी मंत्रियों और नेताओं की भी महत्वपूर्ण...
महाराष्ट्र की लाडली बहन योजना: 1 करोड़ महिलाएं हो सकती हैं बाहर, ई-केवाईसी को लेकर पेच फंसा
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महाराष्ट्र की लाडली बहन योजना: 1 करोड़ महिलाएं हो सकती हैं बाहर, ई-केवाईसी को लेकर पेच फंसा

मुंबई: महाराष्ट्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना "लाडली बहन" के तहत 1 करोड़ से ज्यादा लाभार्थियों के लिए ई-केवाईसी प्रक्रिया अब भी पूरी नहीं हो पाई है। आगामी 18 नवंबर तक ई-केवाईसी की अंतिम तिथि निर्धारित की गई है, लेकिन अब तक केवल 1.3 करोड़ महिलाओं ने इस प्रक्रिया को पूरा किया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार, योजना में कुल 2.35 करोड़ लाभार्थी पंजीकृत हैं, जिनमें से बड़ी संख्या अब भी ई-केवाईसी नहीं करा पाई हैं। ई-केवाईसी में क्यों फंसा पेच? ई-केवाईसी प्रक्रिया को लेकर कई महिलाओं को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, खासकर उन महिलाओं के लिए जिनके पति या पिता का निधन हो चुका है। इन्हें दस्तावेजों को अपडेट करने में समस्याएं आ रही हैं। शुरुआत में ई-केवाईसी की प्रक्रिया में कई तकनीकी अड़चनें आई थीं, लेकिन बाद में इसे सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए। हालांकि,...
योगी आदित्यनाथ ने लालू प्रसाद यादव को भी पछाड़ा, बिहार चुनाव ने कर दिया साफ, किसका पलड़ा भारी
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योगी आदित्यनाथ ने लालू प्रसाद यादव को भी पछाड़ा, बिहार चुनाव ने कर दिया साफ, किसका पलड़ा भारी

लखनऊ: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम ने एक नया राजनीतिक युग शुरू कर दिया है। इस चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बिहार में अपने प्रभाव और रणनीतिक कौशल से न केवल भाजपा और एनडीए के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित की, बल्कि उन्होंने बिहार की राजनीति के दिग्गज नेता, राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के सामाजिक समीकरण को भी ध्वस्त कर दिया। 1. जातीय समीकरणों का टूटना बिहार चुनाव में जिस तरह जातीय समीकरणों को लेकर लालू यादव की पॉलिटिक्स पर आधारित रणनीति ने दशकों तक काम किया, इस बार वही समीकरण पूरी तरह से नाकाम साबित हुए। इस चुनाव ने यह साबित कर दिया कि चुनावी जमीन पर सक्रिय रहकर रणनीति बनाने और सही मुद्दों को उठाने से बड़ी जीत हासिल की जा सकती है, न कि केवल जाति आधारित गोलबंदी से। 2. सीएम योगी का प्रभाव बिहार चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने 31 रैलियां और सभाएं कीं। इनम...
बिहार चुनाव 2025: एनडीए की ऐतिहासिक जीत और सियासत पर असर
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बिहार चुनाव 2025: एनडीए की ऐतिहासिक जीत और सियासत पर असर

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों ने राज्य की राजनीति के साथ-साथ राष्ट्रीय सियासत में भी हलचल मचा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने बिहार में 202 सीटों के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि जेडीयू दूसरे नंबर पर रही। इन नतीजों ने एक बार फिर साबित किया कि 'मोदी मैजिक' अभी भी प्रभावी है। आइए, जानते हैं कि इस चुनाव के परिणामों के राज्य और राष्ट्रीय राजनीति पर क्या गहरे प्रभाव पड़ने वाले हैं। 1. बीजेपी का शानदार प्रदर्शन, लोकसभा की हार को किया खत्म बिहार चुनाव में बीजेपी ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा और 89 सीटों पर जीत हासिल की। इससे यह साफ हो गया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का फीका प्रदर्शन अब इतिहास बन चुका है। मोदी के नेतृत्व में बिहार ने एक बड़ा जनादेश दिया है, जो आने वाले चुनावों में...
बिहार चुनाव में बंपर जीत, दिल्ली में बढ़ेगा असर: राज्यसभा में बदलाव की संभावनाएं
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बिहार चुनाव में बंपर जीत, दिल्ली में बढ़ेगा असर: राज्यसभा में बदलाव की संभावनाएं

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने न सिर्फ राज्य की राजनीति को बल्कि केंद्र की राजनीति को भी प्रभावित करने का रुझान दिखाया है। बिहार में एनडीए गठबंधन की शानदार जीत से राज्यसभा का गणित भी बदल सकता है, जो केंद्र सरकार के लिए अहम होगा। बिहार की चुनावी परिणामों ने यह संकेत दिया है कि राज्यसभा में एनडीए की स्थिति और मजबूत हो सकती है, जिससे केंद्र सरकार के लिए आगामी समय में विधायी कामकाज में कोई बड़ी रुकावट नहीं आएगी। बिहार के विधानसभा चुनाव और राज्यसभा का गणित बिहार विधानसभा की सीटों का असर राज्यसभा पर सीधे तौर पर पड़ता है, क्योंकि राज्यसभा में सीटों का बंटवारा राज्य की विधानसभा सीटों की संख्या पर निर्भर करता है। बिहार राज्य से कुल 16 राज्यसभा सीटें हैं, जिनमें वर्तमान में एनडीए के पास 10 और विपक्ष के पास 6 सीटें हैं। इनमें से 5 सीटें आरजेडी के पास और 1 कांग्रेस के पास है। इनमें से कई...
बिहार की राजनीति में ‘नीमो का जादू’—महिलाओं, युवाओं और जंगरलराज की स्मृतियों ने बदला पूरा खेल
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बिहार की राजनीति में ‘नीमो का जादू’—महिलाओं, युवाओं और जंगरलराज की स्मृतियों ने बदला पूरा खेल

बिहार की राजनीति इस बार एक ऐतिहासिक मोड़ से गुज़री है। जहाँ एक ओर नीमो का जादू चल गया, वहीं एनडीए ने महिलाओं, प्रथम बार वोट देने वालों और ‘जंगलराज’ की यादों को सटीक तरीके से कैश करते हुए विपक्ष को राजनीतिक रूप से लगभग समाप्त कर दिया। आज भी बिहार का वह दौर लोगों की स्मृतियों में ताज़ा है—जब शाम 4 से 6 बजे के बाद कोई भी बड़े परिवार का व्यक्ति घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं करता था।लूट, हत्या, बलात्कार, फिरौती—यह सब उस समय की सामान्य खबरें थीं।और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह कि इन अपराधों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था। लालू–राबड़ी के शासन में वोट कैप्चरिंग और जंगलराज एक कड़वी सच्चाई मेरे बिहार राजनीति अध्ययन के अनुसार, लालू–राबड़ी शासन का आधार जातिगत वोट कैप्चरिंग पर था।इस रणनीति के सहारे सत्ता वर्षों तक बनी रही, लेकिन इसकी कीमत बिहार की जनता ने चुकाई— उद्योग ठप पर्यटन खत्म ...
बिहार चुनाव 2025: ‘जात-धर्म गया पाताल में’, विकास के नाम पर जनता ने की ऐतिहासिक क्रांति
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बिहार चुनाव 2025: ‘जात-धर्म गया पाताल में’, विकास के नाम पर जनता ने की ऐतिहासिक क्रांति

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने राज्य और देश की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। इस बार जनता ने जाति और धर्म के आधार पर वोटिंग की परंपरा को पूरी तरह पीछे छोड़ दिया और विकास, शांति व सुशासन को प्राथमिकता दी। एनडीए को मिली बंपर जीत इसी बदलाव का प्रमाण है। विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं की बड़ी आबादी ने भी एनडीए का समर्थन किया। सीमांचल की 24 सीटों में 18 पर एनडीए बढ़त पर है। मतदाताओं का यह बदलाव बता रहा है कि बिहार में अब विकास ही सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है। यादव और मुस्लिम वोटरों ने राजद का साथ छोड़ारुझानों के मुताबिक, यादव और मुस्लिम वोटरों ने इस बार महागठबंधन का साथ नहीं दिया। राजद की सीटें 75 से घटकर 26-27 के आसपास सिमट रही हैं। सीमांचल क्षेत्र में एनडीए की बढ़त इस बात का संकेत है कि मुस्लिम वोटरों ने भी विकास के मुद्दे पर एनडीए को प्राथमिकता दी। राजनीतिक समीकरण बदलने का संके...
साथ चाहिए या नहीं… बिहार नतीजों के बाद कांग्रेस की भूमिका पर उठ रहे सवाल
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साथ चाहिए या नहीं… बिहार नतीजों के बाद कांग्रेस की भूमिका पर उठ रहे सवाल

नई दिल्ली/पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने महागठबंधन के सहयोगी दलों की रणनीति और भविष्य की संभावनाओं पर कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। एनडीए ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है और 200 सीटों के पार जा रही है, जबकि महागठबंधन का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा, जिसकी सीटें 5 से भी कम दिख रही हैं। कांग्रेस के साथ गठबंधन का फायदा हुआ या नुकसान?विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में लगातार दूसरी बार कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन ने महागठबंधन के दलों को सोचना मजबूर कर दिया है कि क्या कांग्रेस के साथ गठबंधन करना वास्तव में लाभकारी है। अगर ये दल अलग-अलग लड़ते, तो नतीजे चाहे जो भी होते, कम से कम उनके कार्यकर्ताओं का मनोबल तो बना रहता। यूपी और बंगाल में असरबिहार नतीजों का असर पड़ोसी राज्यों पर भी दिखाई देगा। उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस का गठबंधन है और 2027 क...
बड़े-बड़े दावे… और नतीजों में हवा टाइट, तेजस्वी यादव ने दोहराई नकुलनाथ की वही घातक गलती
Madhya Pradesh, Politics, State

बड़े-बड़े दावे… और नतीजों में हवा टाइट, तेजस्वी यादव ने दोहराई नकुलनाथ की वही घातक गलती

भोपाल/पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राजनीतिक आत्मविश्वास और असफल दावों की कहानी फिर से साबित कर दी। विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने महागठबंधन की जीत का दावा 4 दिन पहले ही कर दिया था और कहा था कि वे 18 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उन्होंने एनडीए पर चुनाव आयोग और केंद्रीय पुलिस बल की मदद लेने का आरोप लगाया। लेकिन जनता का जनादेश और वास्तविक मतगणना ने एनडीए को सबसे बड़ा दल बनाकर विपक्ष की उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया। तेजस्वी यादव के पूर्वानुमान सोशल मीडिया पर वायरल मीम का हिस्सा बन गए। इतिहास दोहराया गयायह पहला मौका नहीं है जब नेता अति-आत्मविश्वास में फंस गए। 2023 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने कमलनाथ को सीएम घोषित कर दिया था। छिंदवाड़ा से सांसद नकुलनाथ ने मतगणना से पहले शपथ ग्रहण समारोह में आने के लिए आमंत्रित किया था। तब भी भारी उम्मीदों और दावों का ...