Friday, November 14

बिहार चुनाव 2025: ‘जात-धर्म गया पाताल में’, विकास के नाम पर जनता ने की ऐतिहासिक क्रांति

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 ने राज्य और देश की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। इस बार जनता ने जाति और धर्म के आधार पर वोटिंग की परंपरा को पूरी तरह पीछे छोड़ दिया और विकास, शांति व सुशासन को प्राथमिकता दी। एनडीए को मिली बंपर जीत इसी बदलाव का प्रमाण है।

विशेष रूप से मुस्लिम महिलाओं की बड़ी आबादी ने भी एनडीए का समर्थन किया। सीमांचल की 24 सीटों में 18 पर एनडीए बढ़त पर है। मतदाताओं का यह बदलाव बता रहा है कि बिहार में अब विकास ही सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है।

यादव और मुस्लिम वोटरों ने राजद का साथ छोड़ा
रुझानों के मुताबिक, यादव और मुस्लिम वोटरों ने इस बार महागठबंधन का साथ नहीं दिया। राजद की सीटें 75 से घटकर 26-27 के आसपास सिमट रही हैं। सीमांचल क्षेत्र में एनडीए की बढ़त इस बात का संकेत है कि मुस्लिम वोटरों ने भी विकास के मुद्दे पर एनडीए को प्राथमिकता दी।

राजनीतिक समीकरण बदलने का संकेत
बिहार में यह चुनावी बदलाव यह दिखा रहा है कि अब जाति-धर्म के पुराने समीकरण टूट चुके हैं। युवा पीढ़ी और महिलाएं विशेष रूप से विकास और रोजगार के मुद्दे पर मतदान कर रही हैं। 1 करोड़ 51 लाख महिलाओं को रोजगार सहायता मिलने जैसी योजनाओं ने भी वोटरों के निर्णय को प्रभावित किया।

निष्कर्ष:
बिहार का यह चुनाव केवल सीटों के आंकड़े नहीं बल्कि सामाजिक और राजनीतिक सोच में क्रांति की निशानी है। जनता ने स्पष्ट संदेश दिया है कि अब विकास और सुशासन ही चुनावी निर्णायक कारक हैं।

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