Friday, November 14

बिहार की राजनीति में ‘नीमो का जादू’—महिलाओं, युवाओं और जंगरलराज की स्मृतियों ने बदला पूरा खेल

बिहार की राजनीति इस बार एक ऐतिहासिक मोड़ से गुज़री है। जहाँ एक ओर नीमो का जादू चल गया, वहीं एनडीए ने महिलाओं, प्रथम बार वोट देने वालों और ‘जंगलराज’ की यादों को सटीक तरीके से कैश करते हुए विपक्ष को राजनीतिक रूप से लगभग समाप्त कर दिया।

आज भी बिहार का वह दौर लोगों की स्मृतियों में ताज़ा है—जब शाम 4 से 6 बजे के बाद कोई भी बड़े परिवार का व्यक्ति घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं करता था।
लूट, हत्या, बलात्कार, फिरौती—यह सब उस समय की सामान्य खबरें थीं।
और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह कि इन अपराधों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था।

लालू–राबड़ी के शासन में वोट कैप्चरिंग और जंगलराज एक कड़वी सच्चाई

मेरे बिहार राजनीति अध्ययन के अनुसार, लालू–राबड़ी शासन का आधार जातिगत वोट कैप्चरिंग पर था।
इस रणनीति के सहारे सत्ता वर्षों तक बनी रही, लेकिन इसकी कीमत बिहार की जनता ने चुकाई—

  • उद्योग ठप
  • पर्यटन खत्म
  • निवेश शून्य
  • अपराध चरम पर

उस काल में बिहार की छवि इतनी धूमिल हो चुकी थी कि पर्यटक बिहार आना ही बंद कर चुके थे।
असंख्य बलात्कार और हत्याएं ऐसी थीं जिन्हें आज तक न्याय नहीं मिला, क्योंकि कई मामलों तक को दर्ज होने की अनुमति ही नहीं दी जाती थी।
यही था वो असली जंगलराज जिसने बिहार की पीढ़ियों को डर और अंधकार में जीने पर मजबूर किया।

नीतीश कुमार का पहला शासनकाल—डर से भरोसे तक का सफर

इसके बाद जब नीतीश कुमार सत्ता में आए, तो बिहार ने राहत की सांस ली।
लोगों ने पहली बार अनुभव किया कि—
बिहार रात 12 बजे तक भी सुरक्षित हो सकता है।

परिवर्तन इतना सकारात्मक था कि वर्षों बाद लोग निडर होकर घरों से निकलने लगे।
पर्यटन फिर से लौटने लगा, और बिहार विकास की पटरी पर लौटता नज़र आया।

आज का बिहार—अब वह पुराना बिहार नहीं रहा

समय बदल चुका है।
आज का बिहार—

  • शिक्षित है
  • तकनीकी रूप से आगे बढ़ रहा है
  • सर्वाधिक IAS–IPS देने वाला राज्य है
  • युवाओं की सोच बंधनों से मुक्त है

बिहार का युवा परिश्रम करता है, कमाता है, अपने परिवार को संभालता है और अपने भविष्य के लिए स्पष्ट दृष्टि रखता है।
यह वह बिहार है जिसे जंगलराज की राजनीति फिर कभी स्वीकार नहीं कर सकती।

महिला मतदाताओं और प्रथम बार वोटर्स ने दिया निर्णायक संदेश

इस चुनाव में बिहार की महिलाओं ने एकतरफा मतदान कर यह संदेश दिया कि वे सुरक्षा और स्थिरता को प्राथमिकता देती हैं।
युवाओं—खासकर फर्स्ट टाइम वोटर्स—ने भी जातीय राजनीति से ऊपर उठकर विकास को चुना।

एनडीए ने ‘जंगलराज बनाम सुशासन’ की लड़ाई को रणनीतिक रूप से सही दिशा दी, और यह जनता के मन तक सीधे पहुँची।

एनडीए 200 पार, विपक्ष 30 पर—यह क्यों हुआ?

यह सिर्फ मोदी की लोकप्रियता नहीं, बल्कि

  • नीतीश कुमार की प्रशासनिक छवि
  • महिलाओं का भारी समर्थन
  • युवाओं की विकासवादी सोच
  • जंगलराज की दर्दनाक यादें
    —इन सभी कारकों का संयोग है जिसने एनडीए को 200 के पार पहुँचाया।

वहीं, परिवारवाद और जातिवाद तक सीमित विपक्ष महज़ 30 सीटों में सिमट गया।
यह जनादेश स्पष्ट है—
बिहार अब ‘परिवारवाद और जंगलराज’ की राजनीति को स्थायी रूप से समाप्त करने का निर्णय ले चुका है।

भविष्य का बिहार—दो इंजनों की सरकार के साथ विकास की रफ्तार तेज

आने वाला समय बिहार के लिए नई दिशा लेकर आएगा।
डबल इंजन की सरकार—

  • बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने
  • उद्योग–आधारित निवेश बढ़ाने
  • आधारभूत संरचना सुदृढ़ करने
    के लिए अब और अधिक प्रयास करेगी।

बिहार आज नया बिहार है—
न डर, न अपराध का बोलबाला—
बल्कि शिक्षा, प्रगति, रोजगार और विकास की भाषा बोलता बिहार।

विश्लेषण निष्कर्ष:
यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि विचार परिवर्तन है।
बिहार ने यह साबित कर दिया है कि—
विकास की राजनीति ही अब भविष्य का रास्ता है, जंगलराज की राजनीति नहीं।

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