
“कृष का गाना सुनेगा… दिल ना दिया, दिल ना दिया ले बेटा” — इस मासूम से डायलॉग ने जिस शख्स को रातों-रात सोशल मीडिया पर पहचान दिलाई, उसे लोग आज ‘वायरल बॉय धूम’ के नाम से जानते हैं। लेकिन इस मुस्कान और लोकप्रियता के पीछे छिपी है एक ऐसी संघर्षभरी कहानी, जो दिल को झकझोर देती है।
झारखंड के जमशेदपुर जिले के निवासी पिंटू प्रसाद आज भले ही इंटरनेट सनसनी बन चुके हों, लेकिन उनका जीवन कभी आसान नहीं रहा। मासूम चेहरे और भोले अंदाज़ वाले पिंटू की उम्र करीब 32 वर्ष है—यह जानकारी उन्होंने स्वयं मीडिया से बातचीत में दी।
बचपन में ही छिन गया माता-पिता का साया
पिंटू प्रसाद की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं। उन्होंने बताया कि बचपन में ही उनके माता-पिता का निधन हो गया था। इसके बाद दादा-दादी ने उनका पालन-पोषण किया, लेकिन कुछ वर्षों बाद वे भी इस दुनिया से चले गए।
पिंटू कहते हैं, “हम दो भाई और एक बहन हैं। कोई सहारा नहीं था। बहन बीमार होने पर भी खाना दे जाती है, वही हमारा सब कुछ है।”
पेट की आग बुझाने के लिए किया हर काम
जिंदगी चलाने के लिए पिंटू ने वे सभी काम किए, जिन्हें समाज अक्सर नज़रअंदाज़ कर देता है।
उन्होंने बताया कि उन्होंने कचरा चुना, शौचालय साफ किए, मरे जानवर उठाए, झाड़ू लगाई, लेकिन कभी चोरी या गलत रास्ता नहीं अपनाया।
“हालात चाहे जैसे रहे हों, ईमानदारी नहीं छोड़ी,” पिंटू कहते हैं।
ऋतिक रोशन के फैन हैं ‘वायरल बॉय धूम’
बॉलीवुड के पसंदीदा अभिनेता के सवाल पर पिंटू की आंखों में चमक आ जाती है। वे कहते हैं कि उन्हें ‘कृष’ यानी ऋतिक रोशन बेहद पसंद हैं। उन्हीं की फिल्म के डायलॉग ने उनकी किस्मत बदल दी।
भोलेपन का उठा फायदा, फिर मिली उम्मीद
पिंटू बताते हैं कि वायरल होने से पहले कई लोगों ने उनके भोलेपन का फायदा उठाया।
“कुछ लोग 10–20 रुपये देकर रील बनवाते थे और खुद लाखों व्यूज कमाते थे,” वे बताते हैं।
इसी दौर में वे नशे की लत का भी शिकार हो गए।
लेकिन यहीं से उनकी जिंदगी ने नया मोड़ लिया। जमशेदपुर की ‘अस्तित्व फाउंडेशन’ ने पिंटू की प्रतिभा और हालात को समझा। संस्था ने उन्हें नशे से बाहर निकालने और सम्मानजनक जीवन देने की पहल की।
नई जिंदगी की ओर पहला कदम
फिलहाल पिंटू प्रसाद एक रीहैबिलिटेशन सेंटर में इलाज करवा रहे हैं और एक नई शुरुआत की ओर बढ़ रहे हैं।
पहली बार किसी ने उन्हें सिर्फ “वायरल कंटेंट” नहीं, बल्कि एक इंसान की तरह समझा।
यह कहानी सिर्फ एक वायरल वीडियो की नहीं, बल्कि उस उम्मीद की है, जो सबसे अंधेरे हालात में भी रोशनी ढूंढ लेती है।