
बांग्लादेश में हिंदू युवकों की मॉब लिंचिंग की घटनाओं ने पूरे विश्व में आक्रोश पैदा कर दिया है। दीपू चंद्र दास और अमृत मंडल की हत्या के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बांग्लादेश के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस को निशाने पर लिया है।
ओवैसी ने एक बयान में कहा, “यूनुस यह सुनिश्चित करें कि बांग्लादेश में रहने वाले सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा हो। जो कुछ भी हो रहा है, वह गलत है और वहां के हालात गंभीर हैं।” उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्ष बंगाली राष्ट्रवाद पर आधारित समाज में 20 मिलियन अल्पसंख्यक हैं, जो मुसलमान नहीं हैं, और उनकी सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।
ISI और चीन की मौजूदगी को लेकर चेतावनी
ओवैसी ने चेताया कि बांग्लादेश में अब ISI, चीन और भारत विरोधी ताकतें सक्रिय हैं। उन्होंने कहा, “बांग्लादेश में स्थिरता भारत, खासकर पूर्वोत्तर की सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। चुनावों के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों को मजबूत बनाए रखना अनिवार्य होगा।”
भारत में भी कानून व्यवस्था पर सवाल
ओवैसी ने भारत में हाल की घटनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि हाल ही में पश्चिम बंगाल में मजदूर की हत्या, उत्तराखंड में आदिवासी छात्र एंजेल चकमा की पिटाई और उनकी मृत्यु जैसी घटनाएं कानून और व्यवस्था की गंभीर विफलताओं का उदाहरण हैं। ओवैसी ने कहा कि बहुसंख्यक आधारित राजनीति और कानून के उल्लंघन के कारण इस तरह की मॉब लिंचिंग होती है, जिसे पूरी तरह निंदा की जानी चाहिए।
ओवैसी का संदेश स्पष्ट:
ओवैसी ने बांग्लादेश और भारत दोनों में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि “सुरक्षा, कानून का शासन और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व ही किसी लोकतंत्र की नींव हैं।”