
ब्रिटेन के ब्रैडफोर्ड में पाकिस्तानी दूतावास के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन ने पाकिस्तान की सेना और उसके चीफ असीम मुनीर के लिए चिंता की लकीरें खींच दी हैं। प्रदर्शन के दौरान मुनीर को लेकर “जिया जैसी मौत” देने की धमकियां दी गईं, जिससे पाकिस्तान सरकार को ब्रिटेन से सुरक्षा सहयोग लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पाकिस्तान ने एक्टिंग ब्रिटिश हाई कमिश्नर को डिमार्शे जारी कर कार्रवाई की मांग की है। इसके अलावा मुनीर की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यूके से मदद मांगी गई है। यह स्थिति इस बात को दर्शाती है कि विदेशों में पाकिस्तानी सेना का नियंत्रण कमजोर पड़ रहा है, और उसे अपने चीफ की सुरक्षा के लिए विदेशी सहयोग पर निर्भर होना पड़ रहा है।
विरोध प्रदर्शन और धमकी का मामला
ब्रैडफोर्ड में हुए प्रदर्शन में एक प्रदर्शनकारी ने असीम मुनीर को पूर्व शासक जिया उल हक की तरह मारने की धमकी दी। पाकिस्तान ने इस धमकी को गंभीर माना और ब्रिटिश अधिकारियों को वीडियो सबूत भी सौंपे। पाकिस्तान का कहना है कि यह सिर्फ राजनीतिक विरोध नहीं, बल्कि हिंसा भड़काने और आतंकवाद से संबंधित उकसावा है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, वीडियो में एक महिला विरोध प्रदर्शन में कार बम धमाके का जिक्र कर रही है और 1988 के विमान विस्फोट से तुलना कर रही है, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति जिया उल हक मारे गए थे।
विदेशी निर्भरता और सेना की परेशानी
ब्रिटेन में हुई यह घटना पाकिस्तान की शीर्ष सैन्य नेतृत्व के लिए एक सुरक्षा चुनौती बन गई है। विदेशों में पाकिस्तानी सेना का प्रभाव भारत और अफगानिस्तान के मुकाबले सीमित है। इस स्थिति ने सरकार और सेना की विदेशी निर्भरता को उजागर किया है।
पीटीआई का विरोध
इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने सरकार के बयान को खारिज किया। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि ब्रैडफोर्ड में जमावड़ा राजनीतिक प्रदर्शन था और वीडियो क्लिप को चुनिंदा रूप से प्रचारित कर सरकार मुनीर के आलोचकों को चुप कराने की कोशिश कर रही है। पीटीआई का आरोप है कि सेना और सरकार विदेशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को जानबूझकर आतंकवाद से जोड़ रही हैं, ताकि राजनीतिक विरोधियों को दबाया जा सके।
इस पूरे घटनाक्रम ने पाकिस्तान की सेना और सरकार के लिए विदेशों में राजनीतिक और सुरक्षा चुनौतियों को उजागर किया है, और यह सवाल उठाया है कि क्या अब सेना अपने शीर्ष नेतृत्व की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी विदेशी सहयोग पर निर्भर रहेगी।