
घाटशिला (झारखंड): झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर मंगलवार, 11 नवंबर को उपचुनाव चल रहा है। यह चुनाव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दूसरे कार्यकाल की पहली बड़ी राजनीतिक परीक्षा माना जा रहा है।
सुबह 9 बजे तक घाटशिला में कुल 17.33 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। पोलिंग केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी लाइनें लगीं, जहाँ सभी मतदान केंद्रों को मॉडल बूथ के रूप में विकसित किया गया है। इन केंद्रों में बिजली, पेयजल, रैंप और अन्य आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं।
मुख्य मुकाबला: सोमेश बनाम बाबूलाल
इस उपचुनाव में मुख्य जंग झामुमो के सोमेश चंद्र सोरेन और भाजपा के बाबूलाल सोरेन के बीच है। झामुमो दिवंगत विधायक रामदास सोरेन की राजनीतिक विरासत और सरकार के कार्यों पर भरोसा जताकर जीत का दावा कर रहा है। वहीं भाजपा संगठन की मजबूती और केंद्र सरकार की योजनाओं के बल पर वोटरों को लुभा रही है।
विश्लेषकों के अनुसार, यह चुनाव केवल ‘सोमेश बनाम बाबूलाल’ नहीं, बल्कि ‘हेमंत बनाम चंपई’ की सियासी जंग भी है।
कोल्हान टाइगर की राजनीतिक जंग
चंपई सोरेन, जिन्हें कोल्हान टाइगर के नाम से जाना जाता है, लंबे समय तक झामुमो में सक्रिय रहे। जेल से बाहर आने के बाद वे भाजपा में शामिल हुए। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने खुद सरायकेला सीट से जीत दर्ज की, लेकिन बेटे बाबूलाल सोरेन को घाटशिला से जीत नहीं दिला पाए। इस बार भाजपा ने फिर बाबूलाल को टिकट दिया है, जिससे यह चुनाव पिता-पुत्र दोनों के लिए राजनीतिक प्रतिष्ठा की परीक्षा बन गया है।
त्रिकोणीय मुकाबला, 13 प्रत्याशी मैदान में
झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) के रामदास मुर्मू ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की है। इसके अलावा भारत आदिवासी पार्टी के पंचानन सोरेन और पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) की पार्वती हांसदा सहित कुल 13 प्रत्याशी मैदान में हैं।
घाटशिला विधानसभा में कुल 2,56,352 मतदाता हैं। मतदान के लिए 231 स्थानों पर 300 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।