
सतना। मध्यप्रदेश के सतना जिला अस्पताल से सामने आया मामला मानवता और स्वास्थ्य व्यवस्था दोनों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। थैलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही एक मासूम बच्ची में अब HIV पॉजिटिव पाए जाने की खबर ने उसके मजदूर पिता को गहरे सदमे में डाल दिया है। पहले से ही इलाज का भारी बोझ उठा रहे परिवार के लिए यह खबर किसी वज्रपात से कम नहीं है।
जानकारी के अनुसार, सतना जिला अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित छह बच्चों की जांच कराई गई थी, जिनमें से एक बच्ची HIV पॉजिटिव पाई गई। बच्ची के पिता पेशे से मिस्त्री हैं और रोज की मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं।
हर हफ्ते खून, हर महीने संघर्ष
39 वर्षीय पिता बताते हैं कि उनकी जिंदगी का बड़ा हिस्सा अस्पतालों और ब्लड बैंकों के चक्कर लगाने में गुजर रहा है। थैलेसीमिया के कारण बच्ची को हर सप्ताह खून चढ़ाना पड़ता है। हर 10 दिन में लगभग तीन यूनिट खून की जरूरत होती है। इस दौरान वे काम पर नहीं जा पाते, जिससे परिवार की आर्थिक हालत लगातार बिगड़ती जा रही है।
उन्होंने कहा, “हर महीने करीब 10 दिन हमारी जिंदगी थम जाती है। काम छूट जाता है, आमदनी बंद हो जाती है, लेकिन बेटी का इलाज नहीं रुक सकता।”
चार साल पहले चला था बीमारी का पता
पिता ने बताया कि चार साल पहले बार-बार बीमार पड़ने पर बच्ची को सतना जिला अस्पताल ले जाया गया था, जहां से उसे जबलपुर रेफर किया गया। जांच के बाद डॉक्टरों ने थैलेसीमिया की पुष्टि की। तभी से नियमित रूप से खून चढ़ाना उनकी दिनचर्या बन गया।
दवाएं भी नहीं कर रहीं असर
पिता का कहना है कि इलाज के दौरान दी जाने वाली दवाएं भी बच्ची को सूट नहीं कर रही हैं। दवा लेते ही उसे उल्टियां होने लगती हैं। लगातार दर्द, कमजोरी और अस्पताल के माहौल ने बच्ची को भीतर से तोड़ दिया है। वह अब पहले जैसी नहीं रही—कम बोलती है, सहमी रहती है।
‘अब यह बोझ कैसे उठाएं?’
HIV पॉजिटिव होने की खबर ने परिवार को पूरी तरह झकझोर दिया है। पिता की आंखों में आंसू और आवाज में टूटन साफ झलकती है। उन्होंने कहा,
“वह पहले ही इतना कष्ट झेल रही थी। अब यह एक और बोझ है। हम नहीं जानते कि इसे कैसे उठाएं।”
यह मामला न केवल एक परिवार की पीड़ा को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि क्या खून चढ़ाने की प्रक्रिया में पर्याप्त सुरक्षा और जांच के इंतजाम किए गए थे। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर अब इस गंभीर मामले में जवाबदेही तय करने का दबाव बढ़ गया है।