
जयपुर। राजस्थान की जीवनरेखा कही जाने वाली अरावली पर्वत श्रृंखला को बचाने के लिए देशभर में चल रहे अभियान को नया राजनीतिक समर्थन मिला है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने ‘सेव अरावली’ अभियान के समर्थन में अपने सोशल मीडिया अकाउंट X (पूर्व में ट्विटर) की डिस्प्ले पिक्चर (DP) बदल दी है। उन्होंने अरावली की हरियाली से भरी तस्वीर को अपनी नई डीपी बनाकर इस मुहिम से जुड़ने का संदेश दिया।
डीपी बदलते हुए गहलोत ने कहा कि अरावली का महत्व किसी फीते या ऊंचाई से नहीं, बल्कि उसके पर्यावरणीय योगदान से तय होना चाहिए। उन्होंने जनता से भी अपील की कि वे अरावली को बचाने के इस अभियान का हिस्सा बनें।
‘वोट चोरी से आज़ादी’ वाली डीपी हटाई
करीब पांच महीने पहले कांग्रेस की ओर से कथित वोट चोरी के मुद्दे पर देशव्यापी सोशल मीडिया अभियान चलाया गया था। अगस्त 2025 में राहुल गांधी की पहल के बाद अशोक गहलोत सहित कई कांग्रेस नेताओं ने अपनी डीपी ‘वोट चोरी से आज़ादी’ और ‘स्टॉप वोट चोरी’ में बदली थी। अब उसी डीपी को हटाकर गहलोत ने ‘सेव अरावली’ की तस्वीर लगाई है। उनके बाद राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जुली ने भी अपनी डीपी बदलकर इस अभियान को समर्थन दिया।
उत्तर भारत के भविष्य से जुड़ा सवाल
अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार द्वारा अरावली की परिभाषा में किए गए बदलावों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 100 मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अरावली मानने से इनकार करना उत्तर भारत के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। गहलोत ने केंद्र सरकार और सर्वोच्च न्यायालय से अपील की कि भावी पीढ़ियों के सुरक्षित भविष्य के लिए अरावली की परिभाषा पर पुनर्विचार किया जाए।
क्यों जरूरी है अरावली का संरक्षण
गहलोत ने अरावली के संरक्षण को हमारे अस्तित्व से जोड़ते हुए इसके चार बड़े कारण गिनाए—
- मरुस्थल और लू के खिलाफ सुरक्षा दीवार
अरावली थार रेगिस्तान की रेत और गर्म हवाओं को उत्तर भारत की ओर बढ़ने से रोकती है। छोटी पहाड़ियों के खत्म होने से रेगिस्तान का विस्तार और तापमान में खतरनाक बढ़ोतरी तय है। - प्रदूषण से रक्षा कवच
अरावली और उसके जंगल दिल्ली-एनसीआर के ‘फेफड़े’ हैं, जो धूल भरी आंधियों और प्रदूषण को रोकने में अहम भूमिका निभाते हैं। - भूजल रिचार्ज का आधार
अरावली बारिश के पानी को जमीन में पहुंचाकर भूजल रिचार्ज करती है। इसके खत्म होने से पानी का गंभीर संकट पैदा होगा और जैव विविधता को भारी नुकसान पहुंचेगा। - टूटेगी सुरक्षा की निरंतर श्रृंखला
अरावली एक सतत पर्वत श्रृंखला है, जिसमें छोटी पहाड़ियां भी उतनी ही जरूरी हैं जितनी ऊंची चोटियां। एक भी कड़ी टूटी तो पूरी सुरक्षा व्यवस्था कमजोर हो जाएगी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि अरावली को ऊंचाई या नक्शे की रेखाओं से नहीं, बल्कि इसके पर्यावरणीय महत्व से आंका जाना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अभी नहीं चेते गए, तो आने वाली पीढ़ियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।