Monday, December 15

बंगाल की शहीद पर बयान से सियासी तूफान: भाजपा सांसद की चूक ने टीएमसी को दिया बड़ा मुद्दा

बंगाल की धरती, उसकी संस्कृति और उसके स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को लेकर एक बार फिर सियासी घमासान छिड़ गया है। भाजपा सांसद दिनेश शर्मा के एक बयान ने ऐसा विवाद खड़ा कर दिया है, जिसने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को आगामी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा पर तीखा हमला बोलने का बड़ा मौका दे दिया है।

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राज्यसभा में बोलते हुए दिनेश शर्मा ने यह कह दिया कि प्रसिद्ध बंगाली स्वतंत्रता सेनानी मातंगिनी हाजरा मुस्लिम थीं और उन्होंने वंदे मातरम का नारा लगाया था। इस बयान के सामने आते ही टीएमसी ने इसे बंगाल की अस्मिता, इतिहास और शहीदों के अपमान से जोड़ते हुए भाजपा पर जोरदार हमला शुरू कर दिया।

ममता बनर्जी का तीखा प्रहार

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर सीधा सवाल दागते हुए कहा,
“एक भाजपा नेता कह रहे हैं कि मातंगिनी हाजरा मुस्लिम थीं। क्या भाजपा को बंगाल का इतिहास और संस्कृति की कोई जानकारी भी है?”
ममता ने इसे बंगाल विरोधी सोच करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इस मुद्दे पर माफी की मांग की।

कौन थीं मातंगिनी हाजरा

गांधी बूढ़ी’ के नाम से प्रसिद्ध मातंगिनी हाजरा भारत के स्वतंत्रता संग्राम की उन वीरांगनाओं में से थीं, जिन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोला।
सितंबर 1942 में, भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 73 वर्ष की उम्र में उन्होंने करीब 6,000 लोगों—जिनमें अधिकांश महिलाएं थीं—के जुलूस का नेतृत्व किया। तामलुक पुलिस स्टेशन पर कब्जे के प्रयास के दौरान ब्रिटिश भारतीय पुलिस ने उन्हें गोलियों से भून दिया। सीने में गोली लगने के बावजूद वह ‘वंदे मातरम’ का नारा लगाती रहीं और शहीद हो गईं। वे आंदोलन की शुरुआती शहीदों में गिनी जाती हैं।

‘वंदे मातरम’ और बंगाली अस्मिता पर विवाद

यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब संसद में राष्ट्रगान और वंदे मातरम के इतिहास पर चर्चा चल रही है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय को ‘बंकिम दा’ कहे जाने पर भी टीएमसी ने आपत्ति जताई थी।
टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने लोकसभा में कहा कि ‘बंकिम बाबू’ कहना बंगाल की परंपरा और सम्मान के अनुरूप है।

मामला यहीं नहीं रुका। एक अन्य भाजपा सांसद द्वारा बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का नाम गलत तरीके से लेने पर ममता बनर्जी ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा,
“ऐसा लगता है मानो भाजपा नेता बंकिम चंद्र के साथ चाय पीते रहे हों।”

टीएमसी का आरोप: इतिहास से अनजान भाजपा

टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने दिनेश शर्मा के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए भाजपा से सार्वजनिक माफी की मांग की। उन्होंने कहा,
“मातंगिनी हाजरा धर्म की नहीं, देश की शहीद थीं। वह भारत माता का प्रतीक हैं। भाजपा को यह सवाल उठाने का अधिकार ही नहीं कि वह हिंदू थीं या मुस्लिम।”

टीएमसी का आरोप है कि भाजपा पहले भी खुदीराम बोस को आतंकवादी और राजा राम मोहन राय को ब्रिटिश एजेंट कहने जैसी टिप्पणियां कर चुकी है। पार्टी का कहना है कि इससे साफ है कि भाजपा नेताओं को बंगाल के इतिहास, संस्कृति और शहीदों के प्रति न सम्मान है और न ही सही जानकारी।

चुनाव से पहले सियासी लाभ की कोशिश

गौरतलब है कि जिस तामलुक में मातंगिनी हाजरा शहीद हुई थीं, वह पूर्वी मिदनापुर जिला है—जो विधानसभा में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी का गृह क्षेत्र भी है। हालांकि इस पूरे विवाद पर सुवेंदु अधिकारी और भाजपा के कई बड़े नेता चुप्पी साधे हुए हैं।

विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और टीएमसी इस मुद्दे को भाजपा के “बंगाल से अलगाव” के प्रतीक के तौर पर पेश कर, सियासी बढ़त बनाने में जुट गई है। भाजपा सांसद की एक टिप्पणी ने बंगाल की राजनीति में फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है—क्या बाहरी राजनीति बंगाल की आत्मा और उसके शहीदों को समझ पा रही है?

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