Wednesday, December 10

लकवा से बेकार हो चुके हाथ, लेकिन खुद चम्मच से खाया खाना—न्यूरालिंक ने किया असंभव को संभव

दुनिया उस भविष्य में प्रवेश कर रही है, जिसे अब तक हम सिर्फ विज्ञान-फंतासी फिल्मों में देखते रहे थे। एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसने मेडिकल साइंस और टेक्नोलॉजी की सीमाओं को एक झटके में आगे बढ़ा दिया है। कंपनी द्वारा जारी नए विडियो में लकवा से पीड़ित एक मरीज सिर्फ सोच के जरिए रोबॉटिक हाथ को नियंत्रित करता दिखाई देता है—वह गेंद उठाता है, उसे निर्धारित जगह पर रखता है और यहाँ तक कि खुद चम्मच से खाना भी खाता है।

दिमाग से नियंत्रित मशीन—विडियो बना विश्वभर में चर्चा का विषय

न्यूरालिंक द्वारा X (पूर्व ट्विटर) पर साझा किया गया यह विडियो कुछ ही घंटों में 1.5 करोड़ से अधिक बार देखा गया। यह कंपनी की चल रही प्राइम स्टडी का हिस्सा है, जिसके तहत मरीज के दिमाग में N1 नामक माइक्रो चिप लगाई गई है। बेहद छोटे आकार की इस चिप में 1,024 इलेक्ट्रोड हैं, जिन्हें ऐसे समझा जा सकता है—जैसे दिमाग के हजारों सूक्ष्म संकेत पकड़ने वाले माइक्रोफोन हों।

ये इलेक्ट्रोड दिमाग से निकलने वाले विद्युत संकेतों को वायरलेस तरीके से कंप्यूटर तक पहुंचाते हैं, जहां से ये आदेश रोबॉटिक आर्म तक जाते हैं।

AI की मदद से दिमाग की आवाज समझना हुआ संभव

मनुष्य का दिमाग लाखों संकेत एक साथ भेजता है; यह प्रक्रिया अत्यंत जटिल और शोर से भरी होती है। ऐसे में असली कमांड समझना मुश्किल होता है।
यहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  • AI दिमाग के शोर को “साफ” करता है
  • असली इरादे—जैसे “हाथ उठाओ”, “चम्मच पकड़ो”—को पहचानता है
  • और तुरंत रोबॉटिक सिस्टम तक पहुंचाता है

न्यूरालिंक का AI निरंतर सीखता भी रहता है। मरीज जितना इसका उपयोग करता है, यह उतना ही बेहतर हो जाता है। एलन मस्क ने इसे टेस्ला की ऑटोपायलट तकनीक के समान बताया—दोनों ही मशीन-लर्निंग आधारित न्यूरल नेटवर्क्स पर चलते हैं।

सोशल मीडिया पर आश्चर्य और उम्मीद दोनों

विडियो सामने आते ही सोशल मीडिया पर हज़ारों प्रतिक्रियाएं आने लगीं।
एक यूजर ने लिखा—“यह तो आयरन मैन की शुरुआत है!”
कई विशेषज्ञों ने इसे मेडिकल इतिहास की सबसे बड़ी सफलता बताया और कहा कि यह तकनीक लकवा, ALS और स्पाइनल इंजरी से पीड़ित करोड़ों मरीजों को नई उम्मीद दे सकती है।

फिर भी चर्चाओं के केंद्र में एक सवाल है—क्या यह तकनीक हर किसी के लिए उपलब्ध होगी, या सिर्फ अमीरों तक सीमित रह जाएगी? कंपनी ने लागत की जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं की है।

भविष्य: दिमाग से कार चलाने से लेकर सपने रिकॉर्ड करने तक

न्यूरालिंक का विज़न सिर्फ रोबॉटिक आर्म तक सीमित नहीं है। कंपनी का दावा है कि भविष्य में—

  • दिमाग से कार चलाई जा सकेगी,
  • संगीत बजाया जा सकेगा,
  • और यहां तक कि सपनों को भी रिकॉर्ड किया जा सकेगा

कंपनी ने वर्ष 2026 तक हजारों ब्रेन-इम्प्लांट्स लगाने का लक्ष्य रखा है।

निष्कर्ष

न्यूरालिंक का यह प्रयोग साबित करता है कि तकनीक और मानव दिमाग का मेल कितनी विशाल संभावनाएं समेटे हुए है। लकवा से जूझ रहे लोगों के लिए यह सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि एक नई जिंदगी की शुरुआत हो सकती है।

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