
(एसडी न्यूज़ एजेंसी, 3 मार्च 2025, हावड़ा)
अगर देश में सबसे भ्रष्ट विभाग की बात करें, तो परिवहन विभाग (आरटीओ) का नाम सबसे पहले आता है। यह कोई नई बात नहीं है, स्वयं देश के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी कई बार यह स्वीकार कर चुके हैं कि देशभर में आरटीओ द्वारा भ्रष्टाचार किया जा रहा है। चाहे वह कश्मीर से कन्याकुमारी तक किसी भी राज्य का आरटीओ हो, हर जगह नियमों की धज्जियां उड़ाकर रिश्वतखोरी का खेल जारी है।
फिटनेस प्रमाणपत्र की गड़बड़ियां

ताजा उदाहरण मध्य प्रदेश के इंदौर सहित कई शहरों में देखा गया, जहां अनफिट स्कूल बसों को जबरदस्ती फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जा रहा है। यह सिर्फ एक मामला नहीं है, बल्कि देशभर में ऐसे अनेक उदाहरण मिल जाएंगे।
शहरों में स्थानीय बस सेवाओं का भी यही हाल है। पुरानी और खटारा बसें, जिनकी सीटें 42-50 तक होती हैं, उनमें चार गुना अधिक यात्री ठूंस-ठूंस कर भरे जाते हैं। बस संचालक यात्रियों के साथ पशुओं जैसा व्यवहार करते हैं। हैरानी की बात यह है कि स्थानीय आरटीओ सब कुछ जानते हुए भी चुप रहता है, क्योंकि रिश्वत का खेल उसे किसी भी कार्रवाई से रोक देता है।
ट्रैवल्स कंपनियों का गोरखधंधा
क्या आप जानते हैं कि रोड ट्रैवल्स सर्विसेज का असली काम सिर्फ यात्रियों को परिवहन सुविधा देना नहीं, बल्कि माल ढुलाई (लॉजिस्टिक्स) का अवैध कारोबार करना भी है?
शत-प्रतिशत ट्रैवल कंपनियां असल में ट्रांसपोर्ट सर्विस के रूप में ज्यादा काम करती हैं, लेकिन आरटीओ के “बड़े आकाओं” के दबाव के चलते इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। ओवरलोडिंग के कारण अक्सर ट्रैवल्स की बसें अनियंत्रित होकर दुर्घटनाओं का शिकार हो जाती हैं। अखबारों में यह खबरें सिर्फ सुर्खियों तक सीमित रह जाती हैं, लेकिन अधिकारियों और नेताओं के कानों तक नहीं पहुंचतीं, क्योंकि वे चंद पैसों के लिए जनता की जान की कीमत पर अपनी जेब भर रहे होते हैं।
भ्रष्टाचार मंत्रालयों तक फैला हुआ है!
यह भ्रष्टाचार सिर्फ आरटीओ तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह कई विभागों और राजनीतिक गलियारों से होते हुए मंत्रालयों तक पहुंच चुका है। अगर ऐसा नहीं होता, तो सरकार अब तक इस पर सख्त कार्रवाई कर चुकी होती।
देश की अर्थव्यवस्था की लाइफलाइन कही जाने वाली परिवहन व्यवस्था केवल यात्रा का साधन नहीं, बल्कि देश की विकास प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों को आरटीओ की भ्रष्ट नीतियों की पहचान करके उन पर सख्त अंकुश लगाना चाहिए।

नितिन गडकरी ने भी स्वीकार किया था कि देश का सबसे भ्रष्ट विभाग आरटीओ है। जब उन्होंने परिवहन मंत्रालय का पदभार संभाला था, तब मीडिया से बात करते हुए उन्होंने यह कहा था। अब सवाल यह उठता है कि आरटीओ के भ्रष्ट अधिकारी सिर्फ हेलमेट चेकिंग और सीट बेल्ट लगाने की औपचारिकताएं पूरी करने में लगे रहते हैं, लेकिन बड़े ट्रांसपोर्ट घोटालों पर कार्यवाही करने से क्यों बचते हैं?

अगर सरकार वास्तव में सड़क सुरक्षा और परिवहन व्यवस्था को सुधारना चाहती है, तो छोटी मछलियों को पकड़ने के बजाय बड़ी मछलियों पर हाथ डालना होगा। इससे न केवल सड़क दुर्घटनाओं पर नियंत्रण पाया जा सकेगा, बल्कि जनता की जान भी सुरक्षित रह सकेगी।
(रिपोर्ट: एसडी न्यूज़ एजेंसी)