सीमांचल क्षेत्र, जहां मुस्लिम आबादी सबसे अधिक है, इस बार भी चुनावी दिलचस्पी का केंद्र बना हुआ है।
बिहार चुनाव के अंतिम चरण में छोटी पार्टियों की अग्निपरीक्षा — दिखी ताकत, अब नतीजों में कितना असर होगा?एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए सहयोगी दल बने 'निर्णायक फैक्टर' — सीमांचल में ओवैसी और मगध में दलित समीकरण पर सबकी नजरें
पटना (संवाददाता): बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। इस चरण में एनडीए (NDA) और महागठबंधन (Grand Alliance) — दोनों गठबंधनों के सामने एक बड़ी चुनौती है: अपने गढ़ों को बचाना और नए इलाकों में पैठ बनाना।लेकिन इस बार असली परीक्षा बड़ी पार्टियों से ज्यादा, उनके छोटे सहयोगी दलों की है, जिन्होंने टिकट बंटवारे के समय तो अपनी राजनीतिक ताकत दिखा दी थी, मगर अब देखना यह है कि क्या वे मतदान के नतीजों में भी उतना ही प्रभाव दिखा पाएंगे।
🔹 एनडीए के सहयोगियों पर बड़ी जिम्मेदारी
एनडीए के लिए चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 28 सीटों पर म...









