Monday, December 15

अंधेरे से उजाले तक का सफर: बाराबंकी के 14 वर्षीय गोकुल वर्मा ने राष्ट्रीय ब्लाइंड क्रिकेट में बनाई जगह

बाराबंकी/जितेंद्र कुमार मौर्य: कहते हैं, हौसला मजबूत हो तो मंजिल खुद रास्ता बनाती है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के 14 वर्षीय गोकुल वर्मा ने यही साबित किया है। बचपन में बीमारी के कारण अपनी आंखों की रोशनी खोने के बावजूद गोकुल ने हार नहीं मानी और राष्ट्रीय ब्लाइंड क्रिकेट टी-20 नेशनल टूर्नामेंट में ऑलराउंडर के रूप में अपनी जगह बनाई।

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गोकुल वर्मा का चयन नागेश ट्रॉफी ब्लाइंड क्रिकेट टी-20 नेशनल टूर्नामेंट के आठवें संस्करण के लिए हुआ है। इस प्रतियोगिता में देश के 29 राज्यों की टीमें भाग ले रही हैं। उत्तर प्रदेश की टीम को ग्रुप ‘ए’ में रखा गया है, जहां उसे उत्तराखंड, तमिलनाडु, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसी मजबूत टीमों से मुकाबला करना होगा। लीग मैच 15 से 19 दिसंबर 2025 तक विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) में खेले जाएंगे।

बाराबंकी के हैदरगढ़ तहसील क्षेत्र के जाफरपुर गांव निवासी गोकुल ने चार साल की उम्र में अपनी आंखों की रोशनी खो दी। लेकिन जीवन की इस चुनौती ने उनके हौसले को नहीं तोड़ा। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने ब्लाइंड क्रिकेट को अपनाया और कानपुर ब्लाइंड स्कूल में दाखिले के बाद पहली बार इस खेल से परिचय हुआ। उनके खेल शिक्षक सुनील ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और लगातार मार्गदर्शन दिया।

आज गोकुल वर्मा भरोसेमंद ऑलराउंडर बन चुके हैं। दाएं हाथ के बल्लेबाज और तेज गेंदबाज के रूप में उन्होंने कई मुकाबलों में शानदार प्रदर्शन किया। परिवार और मित्रों का मानना है कि उनकी यह उपलब्धि केवल चयन नहीं, बल्कि यह साबित करती है कि सपनों की उड़ान आंखों से नहीं, हौसले और मेहनत से होती है।

गोकुल की सफलता पर उनके परिवार, स्कूल और पूरा उत्तर प्रदेश गर्व महसूस कर रहा है। उनकी कहानी हर उस बच्चे के लिए प्रेरणा है, जो किसी चुनौती का सामना कर रहा है, क्योंकि असली जीत हालात से नहीं, हौसलों से होती है।

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