
जयपुर, 2 दिसंबर। राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को महिलाओं की सुरक्षा और बढ़ते साइबर अपराधों पर नियंत्रण के लिए व्यापक और कड़े निर्देश जारी किए हैं। जस्टिस रवि चिरानिया ने 35 बिंदुओं वाली विस्तृत गाइडलाइन में ऐप-आधारित कैब सेवाओं में महिला ड्राइवरों की संख्या बढ़ाने और राज्य में साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर की स्थापना अनिवार्य रूप से करने का आदेश दिया है।
कैब सेवाओं में 15% महिला ड्राइवर अनिवार्य
हाई कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार और परिवहन विभाग सुनिश्चित करें कि आने वाले छह महीनों में ऐप-आधारित टैक्सी और बाइक टैक्सी सेवाओं में कम से कम 15% महिला ड्राइवर शामिल हों। अगले दो-तीन वर्षों में यह संख्या बढ़ाकर 25% तक की जाए।
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि ऐप प्लेटफॉर्म्स में महिला यात्रियों को महिला ड्राइवर चुनने का प्राथमिक विकल्प दिया जाए।
राजस्थान में ‘साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर’ जल्द बने
अदालत ने भारतीय साइबर क्राइम कॉर्डिनेशन सेंटर (I4C) की तर्ज पर राजस्थान में भी साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर स्थापित करने को कहा। अदालत ने कहा कि डीजी, साइबर क्राइम का पद तो बनाया गया है, लेकिन राज्य में डिजिटल अपराधों से निपटने की प्रभावी व्यवस्था अभी भी कमजोर है।
ये निर्देश उस समय दिए गए जब अदालत गुजरात के दो आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। दोनों आरोपियों पर एक बुजुर्ग दंपति से 2.02 करोड़ रुपये की ठगी का आरोप है। अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
सिम कार्ड और बैंकिंग सुरक्षा पर भी कड़े निर्देश
हाई कोर्ट ने डिजिटल धोखाधड़ी में सबसे अधिक उपयोग होने वाले सिम कार्ड और बैंक खातों पर भी ध्यान केंद्रित किया—
- किसी व्यक्ति को चौथा सिम कार्ड जारी करने से पहले कठोर सत्यापन अनिवार्य।
- मृत या निष्क्रिय बैंक खातों में फिजिकल KYC जरूरी।
- तीन वर्षों से 50,000 रुपये से कम वार्षिक लेन-देन वाले संदेहास्पद खातों की इंटरनेट बैंकिंग निलंबित करने का निर्देश।
गिग वर्कर्स के लिए यूनिफॉर्म और QR कोड पहचान पत्र अनिवार्य
अदालत ने गिग वर्कर्स (कैब, बाइक टैक्सी आदि) के लिए भी कई सख्त नियम बनाए—
- सभी गिग वर्कर्स को डीजी, साइबर क्राइम कार्यालय में पंजीकरण कराना होगा।
- 1 फरवरी से सभी को यूनिफॉर्म या निर्धारित ड्रेस कोड अपनाना होगा।
- हर गिग वर्कर के पास QR-कोडेड पहचान पत्र अनिवार्य होगा।
- वे केवल कमर्शियल नंबर प्लेट वाले वाहनों पर ही सेवाएं दे सकेंगे।
हाई कोर्ट के इस आदेश को महिलाओं के सुरक्षित परिवहन और साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।