
मुंबई: भारत में सोलर एनर्जी सेक्टर पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ा है। लेकिन अब यह क्षेत्र एक अजीब स्थिति का सामना कर रहा है। फैक्ट्रियों में सोलर मॉड्यूल का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है, लेकिन बिजली घर और प्रोजेक्ट इस गति से स्थापित नहीं हो रहे। जिन जगहों पर सोलर प्लांट लगे हैं, वहां बिजली बेचना मुश्किल हो गया है, जिससे कंपनियों की चिंता बढ़ रही है।
सोलर कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन:
- KPI Green Energy के शेयर पिछले तीन सालों में 600% बढ़े।
- Borosil Renewables के शेयर चार साल में दोगुने हुए।
- Tata Power ने पांच साल में लगभग 500% का रिटर्न दिया।
- Adani Green और Websol Energy के शेयर भी तेज़ी से बढ़े।
- Waaree Renewable Technologies का शेयर एक समय पर 60,000% बढ़ा था।
क्या बदल रही है कहानी:
- पहले सोलर कंपनियों की तेजी राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य, वैश्विक मांग और सरकारी योजनाओं की वजह से थी।
- अब स्थिति बदल रही है। भारत में मॉड्यूल उत्पादन क्षमता मांग से कहीं अधिक हो गई है।
- ICRA रिपोर्ट के अनुसार, देश की मॉड्यूल उत्पादन क्षमता 165 GW तक पहुंचने की संभावना है, जबकि सालाना इंस्टॉलेशन केवल 45-50 GW के आसपास है।
बिजली बर्बाद हो रही है:
- सोलर एनर्जी सेक्टर में कर्टेलमेंट रेट बढ़कर अक्टूबर में 12% तक पहुंच गया।
- इसका मतलब है कि उत्पन्न बिजली का एक हिस्सा ग्रिड में नहीं भेजा जा सकता।
- गुजरात के औद्योगिक क्षेत्रों में विशाल गोदाम चमकते सौर पैनलों से भरे हैं, लेकिन बिजली की बिक्री नहीं हो रही।
सोलर ऊर्जा विस्तार:
- दस साल पहले भारत में बमुश्किल 4 GW सौर क्षमता थी, अब यह लगभग 123 GW तक पहुंच गई है।
- लेकिन मैन्युफैक्चरिंग तेजी से बढ़ी है: 2014 में 2.3 GW से बढ़कर 2025 में 74 GW। मार्च 2026 तक यह 110 GW तक और दशक के अंत तक 280 GW तक पहुंच सकती है।
- सौर सेल मैन्युफैक्चरिंग भी 25 GW से बढ़कर 2030 तक लगभग 171 GW होने का अनुमान है।
- 2025 के पहले नौ महीनों में लगभग 26.6 GW क्षमता जोड़ी गई; सालाना इंस्टॉलेशन 40-45 GW तक पहुंच सकता है।
कंपनियों पर असर:
- छोटे निर्माता अपनी क्षमता का केवल 20-25% इस्तेमाल कर पा रहे हैं।
- निर्यात में बाधाएं, अमेरिका के टैरिफ और एंटी-डंपिंग जांच के कारण मांग घट रही है।
- बड़ी कंपनियां जैसे Reliance, Adani, Waaree, Vikram Solar और Tata Power इस संकट में अपेक्षाकृत सुरक्षित हैं क्योंकि वे पूरी मूल्य श्रृंखला में काम करती हैं।
विश्लेषकों की राय:
- LKP Securities के रिसर्च हेड अश्विन पाटिल का कहना है कि मांग-पक्ष की चुनौतियां जैसे उच्च लागत, जागरूकता की कमी और ग्रिड एकीकरण समस्या पैदा कर रही हैं।
- उत्पादन वृद्धि, निर्यात बाधाओं और कीमतों में दबाव से मार्जिन पर असर पड़ रहा है।
- हालांकि सरकारी नीतियां और PLI योजनाएं इस क्षेत्र को अस्थायी झटकों से निपटने में मदद करेंगी।
सोलर सेक्टर अब एक संरचनात्मक चुनौती का सामना कर रहा है, जहां उच्च उत्पादन और सीमित बिक्री के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी हो गया है।