Friday, November 21

सासाराम की जनता में नाराजगी की लहर – स्नेहलता को मंत्री न बनाने पर उठे सवाल “यह जनता के फैसले का अपमान है”

सासाराम। नीतीश कुमार की नई कैबिनेट में जहां 10 नए चेहरों को जगह मिली, वहीं रोहतास जिले की सासाराम सीट से पहली बार विधायक बनीं स्नेहलता कुशवाहा को मंत्री पद न मिलने से पूरे इलाके में गहरा असंतोष पनप रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सासाराम ने वर्षों बाद एक महिला प्रतिनिधि को मौका दिया था, लेकिन कैबिनेट विस्तार में उनके नाम को शामिल न करके जनता की उम्मीदों को ठेस पहुंचाई गई है।

“हमने बदलाव के लिए वोट दिया, निराशा हाथ लगी”

सासाराम के लोगों का कहना है कि उन्होंने स्नेहलता को इसलिए चुना था ताकि 47 साल बाद एक बार फिर उनका क्षेत्र राज्य कैबिनेट में अपनी मजबूत भागीदारी दर्ज करा सके। लेकिन अंतिम क्षण में उनका नाम हटाकर एक ऐसे नेता को मंत्री बनाया गया जिसे लोग “अनुभवहीन” बता रहे हैं।

कई स्थानीय लोग इसे वंशवाद की राजनीति बताते हुए कह रहे हैं—
“जनता के फैसले का सम्मान नहीं किया गया, यह सासाराम के साथ अन्याय है।”

पहली बार बाहरी महिला उम्मीदवार की जीत बनी चर्चा का कारण

1952 के बाद यह पहला मौका था जब सासाराम ने किसी बाहरी महिला उम्मीदवार पर भरोसा जताया। सीट बंटवारे के बाद बीजेपी ने सासाराम से चुनाव नहीं लड़ा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) की स्नेहलता को मैदान में उतारा गया।
वह जिले की सात सीटों में से इकलौती महिला विधायक भी हैं। इसीलिए उम्मीद थी कि उन्हें कैबिनेट में प्रतिनिधित्व मिलेगा।

लेकिन गुरुवार को जब मंत्रियों की सूची सामने आई और उनका नाम नज़र नहीं आया, जनता खुलकर नाराजगी जताने लगी।

1977 से कैबिनेट में प्रतिनिधित्व से वंचित सासाराम

लगातार छह बार सत्ताधारी दल के विधायक चुनने के बावजूद 1977 से सासाराम को राज्य कैबिनेट में जगह नहीं मिली
इसके विपरीत, केंद्र की राजनीति में यह इलाका हमेशा मजबूत रहा।

  • मीरा कुमार—देश की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष (पूर्व केंद्रीय मंत्री)
  • जगजीवन राम—1952 से 1986 तक क्षेत्र से सांसद

यहां की राजनीतिक विरासत को देखते हुए लोगों की अपेक्षा और बढ़ गई थी।

NDA शासन में लगातार घटती नुमाइंदगी

स्थानीय व्यापारी अरुण शर्मा बताते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान NDA नेताओं ने स्नेहलता को कैबिनेट में शामिल कराने का भरोसा दिया था।
उन्होंने कहा—
“अब लग रहा है कि हमें सिर्फ वोट बैंक समझा गया। वादे टूटे, विश्वास टूटा।”

समाजसेवी सूरज सोनी ने कहा कि RJD शासन में रोहतास जिले के तीन विधायक मंत्री बने थे।
लेकिन NDA शासन में स्थिति बिगड़ती गई—

  • 2015 में सिर्फ एक मंत्री
  • 2020 के बाद से कोई प्रतिनिधित्व नहीं
  • और अब 2025 में भी उम्मीदें अधूरी

कैमूर को मिला मौका, रोहतास रह गया पीछे

पास के कैमूर जिले में जहां NDA ने चार में से तीन सीटें जीतीं, वहां से चैनपुर के मोहम्मद ज़मा खान को मंत्री बनाया गया।

जेपी आंदोलन के वरिष्ठ नेता डॉ. हरिद्वार पांडे कहते हैं—
“कैमूर को पहले भी RJD सरकार में मजबूत प्रतिनिधित्व मिला था, लेकिन NDA में यह लगातार कम होता गया। रोहतास की उपेक्षा अब सहन के बाहर है।”

क्या स्नेहलता को मिलेगा मौका?

जनता की बढ़ती नाराजगी और लगातार उठते सवालों के बीच अब सासाराम में यही चर्चा है कि क्या नीतीश कुमार कैबिनेट के आगामी विस्तार में स्नेहलता को जगह देंगे?
लोगों की मांग साफ है—
“सासाराम को न्याय चाहिए, प्रतिनिधित्व चाहिए।”

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