Friday, November 21

लालू परिवार में ‘S3’ की एंट्री… क्या इतिहास खुद को दोहरा रहा है? परिवारिक कलह, चुनावी हार और नई चुनौती से फिर संकट में लालू कुनबा

पटना। बिहार की राजनीति में ‘S1’ और ‘S2’ का दौर एक समय लालू-राबड़ी शासन का सबसे विवादित अध्याय माना गया था। लालू प्रसाद यादव के साले साधु यादव और सुभाष यादव (S1–S2) ने कभी सत्ता के गलियारों में ऐसी पकड़ बनाई थी कि उनकी छाया पूरे शासन पर दिखाई देती थी। दो दशक बाद एक बार फिर इतिहास खुद को दोहराता दिख रहा है। इस बार वजह हैं संजय यादव—लालू परिवार के नए ‘S3’, जिनकी एंट्री के साथ ही यादव परिवार में अंदरुनी कलह सतह पर आ गई है।

तेजस्वी के ‘चुने हुए सलाहकार’ से बढ़ा विवाद

तेजस्वी यादव ने अपने राजनीतिक सलाहकार के रूप में हरियाणा मूल के संजय यादव को चुना, जो राजद के राज्यसभा सांसद भी हैं। परिवार के कुछ सदस्यों को यह पसंद नहीं आया। लालू प्रसाद की छोटी बेटी रोहिणी आचार्य ने खुले तौर पर संजय यादव पर कई गंभीर आरोप लगाए, जिससे पार्टी और परिवार दोनों में उथल-पुथल तेज हो गई।

रोहिणी ने दावा किया कि 14 नवंबर की रात जब चुनाव नतीजों के बाद परिवार एकत्र हुआ, तो संजय यादव के साथ विवाद इतना बढ़ गया कि उन पर चप्पल तक चलाने की घटना हुई। हालांकि परिवार के अन्य सदस्य खामोश रहे, लेकिन विवाद ने बड़ा रूप ले लिया।

2024–2025: मीसा–रोहिणी की चुनावी चुनौतियाँ

2024 लोकसभा चुनाव में लालू ने मीसा भारती को पाटलिपुत्र और रोहिणी को सारण से उतारा। मीसा चुनावी अनुभव रखती थीं, जबकि रोहिणी की उम्मीदवारी को उनके पिता को किडनी देने के भावनात्मक जुड़ाव से भी जोड़ा गया।

हालांकि रोहिणी हार गईं, पर सोशल मीडिया पर वे लगातार सक्रिय रहीं और राजद की आवाज बनी रहीं। लेकिन 2025 विधानसभा चुनाव के बाद उनका गुस्सा तेजस्वी के करीबियों पर खुलकर सामने आ गया।

तेज प्रताप बनते जा रहे अलग ध्रुव

लालू परिवार का एक और अध्याय है—तेज प्रताप यादव।
2020 से उनके निजी जीवन, तलाक विवाद और परिवार से टकराव की खबरें चर्चा में रहीं। 2025 में उन्होंने अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल बनाकर अलग चुनाव लड़ा। महुआ में तीसरे स्थान पर रहे, लेकिन वोट कटवा के तौर पर राजद को नुकसान पहुँचा दिया।

तेज प्रताप ने भी संजय यादव (S3) पर हमला करते हुए उन्हें ‘जयचंद’ कहा और यह सवाल उठाया कि क्या पार्टी में लालू–राबड़ी को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।

परिवार में ‘तीन मोर्चे’, तेजस्वी के सामने तिगुनी चुनौती

तेजस्वी यादव के सामने इस वक्त तीन बड़ी चुनौतियाँ खड़ी हैं—

  1. एनडीए की जबरदस्त चुनावी बढ़त
  2. पार्टी के अंदर गहराता असंतोष
  3. परिवार के भीतर संजय यादव के कारण उठा तूफान

लालू आवास के बाहर राजद समर्थकों द्वारा संजय यादव के खिलाफ नारेबाजी यह संकेत देती है कि मामला सिर्फ परिवार तक सीमित नहीं, बल्कि कार्यकर्ताओं में भी असंतोष बढ़ रहा है।

क्या S3 भी बनेगा विवाद का कारण?

एक तरफ तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद बड़े चुनावी झटके से उबरने की कोशिश कर रही है, तो दूसरी ओर S3 की एंट्री परिवार को और विभाजित कर रही है।
पहले S1–S2 ने लालू शासन को बदनाम किया था। अब सवाल यह है—

क्या संजय यादव (S3) तेजस्वी का कद बढ़ाएंगे, या लालू–राबड़ी सरकार के पुराने विवादों जैसा ही एक नया अध्याय लिखेंगे?

अब बिहार ही नहीं, पूरे देश की नजर इस पर है कि तेजस्वी यादव इस आंतरिक संकट से कैसे मुकाबला करते हैं। क्योंकि यही तय करेगा—राजद का भविष्य और लालू परिवार की राजनीति का अगला अध्याय।

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