Friday, November 21

बीएमसी चुनाव से पहले बदले समीकरण: हिन्दू वोटों की एकता पर फोकस, बीजेपी एनसीपी से बना सकती है दूरी

मुंबई: महाराष्ट्र की सियासत में बीएमसी चुनावों से ठीक पहले बड़ा फेरबदल दिख रहा है। बिहार में मिली ‘महाजीत’ के बाद उत्साहित बीजेपी अब मुंबई में अपने हिंदू वोट बैंक को साधने की रणनीति पर आगे बढ़ती दिख रही है। इसी क्रम में पार्टी ने संकेत दिए हैं कि वह अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी (AP faction) के साथ गठबंधन से किनारा कर सकती है।

मुंबई बीजेपी के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री आशीष शेलार ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पार्टी मुंबई में नवाब मलिक की अगुवाई में चुनाव नहीं लड़ेगी। शेलार का यह बयान बीएमसी चुनावों से पहले राजनीतिक तापमान बढ़ाने के लिए काफी है।

नवाब मलिक पर आपत्ति, बीजेपी का रुख सख्त

सूत्रों के अनुसार, बीजेपी ने लोकल बॉडी इलेक्शन में एनसीपी को सहयोगी दल के रूप में शामिल न करने का मन बना लिया है। आरोप है कि एनसीपी नेता नवाब मलिक पर अंडरवर्ल्ड से जुड़े एक विवादित प्रॉपर्टी सौदे के गंभीर आरोप हैं। यही कारण है कि विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी ने मलिक और उनकी बेटी को समर्थन देने से इनकार कर दिया था।

शेलार ने दो टूक कहा—
“जब तक नवाब मलिक मुंबई इकाई के प्रमुख होंगे, बीजेपी किसी भी तरह का गठबंधन नहीं करेगी।”

एनसीपी का जवाब: ‘आरोप साबित नहीं, बदलाव नहीं होगा’

बीजेपी के इन आरोपों पर एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने तीखा जवाब दिया।
पटेल ने कहा कि नवाब मलिक पर लगे आरोप साबित नहीं हुए हैं और वे पार्टी के मजबूत व अनुभवी नेता हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि एनसीपी अपनी लीडरशिप में कोई बदलाव नहीं करेगी

हिंदू वोटों को साधने की रणनीति

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी का यह कदम उसके कोर हिंदू वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश का हिस्सा है। पार्टी को आशंका है कि नवाब मलिक के साथ गठबंधन करने से उसके पारंपरिक समर्थकों में गलत संदेश जा सकता है।

बीजेपी सूत्रों का कहना है कि
“चुनाव से पहले एनसीपी से दूरी ठीक है, लेकिन नतीजों के बाद समर्थन की जरूरत पड़ने पर सहयोग पर विचार किया जा सकता है।”

मुंबई बीजेपी अध्यक्ष अमीत साटम पहले ही कह चुके हैं—
“हम किसी खान को मुंबई का मेयर नहीं बनने देंगे।”
उनका यह बयान अमेरिकी सांसद जोहरान ममदानी की जीत के बाद आया था, जो अब नए विवाद की वजह बन गया है।

बीएमसी चुनाव: प्रतिष्ठा की लड़ाई

मुंबई का बीएमसी चुनाव हमेशा से प्रतिष्ठा का विषय रहा है। 2017 में बीजेपी बीएमसी की सत्ता के बेहद करीब थी। इस बार यह चुनाव हाई-वोल्टेज होने की पूरी उम्मीद है।
बीजेपी सत्ता पर दोबारा कब्जा जमाने को तैयार है और कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती जिससे हिंदू वोटों में दरार पड़े।

मुंबई की राजनीति अब नए समीकरणों की तरफ बढ़ चुकी है और आने वाले दिनों में गठबंधन की तस्वीर और साफ होगी।

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