Friday, November 21

कर्नाटक में सत्ता संग्राम तेज: डीके समर्थक विधायकों का दिल्ली कूच, सिद्धारमैया ने रद्द किया दौरा

बेंगलुरु/दिल्ली: बिहार चुनावों में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन का असर अब कर्नाटक की राजनीति में साफ दिखने लगा है। राज्य सरकार के ढाई साल पूरे होते ही नेतृत्व परिवर्तन की मांग तेज हो गई है। राज्य में सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच सत्ता संतुलन को लेकर खींचतान खुलकर सामने आ गई है।

डीके को सीएम बनाने की मांग, 10 विधायक दिल्ली में डटे

डीके शिवकुमार के समर्थक एक मंत्री समेत 10 से अधिक विधायक गुरुवार को दिल्ली पहुंच गए। इनका उद्देश्य स्पष्ट है—
2023 की सत्ता साझेदारी (Power Sharing) के वादे को लागू करवाना।

विधायक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर यह मांग रखेंगे कि ढाई साल बाद मुख्यमंत्री पद अब डीके शिवकुमार को सौंपा जाए।

सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार को भी कई और विधायक दिल्ली पहुंच सकते हैं, जिससे डीके समर्थक खेमे की शक्ति और बढ़ेगी।

सिद्धारमैया ने बदला कार्यक्रम, दौरा रद्द कर लौटे बेंगलुरु

विधायकों की हलचल के बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अचानक अपना दो दिवसीय मैसूर-चामराजनगर दौरा रद्द कर दिया। यह कदम संकेत देता है कि पार्टी में उठते असंतोष को लेकर सरकार गंभीर है।

दिल्ली जाने वालों में मंत्री एन. चालुवरायस्वामी, विधायक कबाल हुसैन, एचसी बालकृष्ण, और एसआर श्रीनिवास शामिल रहे।
पहले ही मंगलवार को एमएलए रवि गनीगा, गुब्बी वासु, दिनेश गूलीगौड़ा और अन्य विधायक “पावर शेयरिंग” मुद्दा उठाने के लिए दिल्ली पहुंच चुके थे।

शुक्रवार को अनेकल शिवन्ना, नेलमंगला श्रीनिवास, कुनिगल रंगनाथ, शिवगंगा बसवराजू तथा बालकृष्ण के भी दिल्ली पहुंचने की उम्मीद है।

क्यों बढ़ा विवाद?

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व बदलने का वादा 2023 में पार्टी के अंदरूनी समझौते के तहत हुआ था। ढाई साल बाद मुख्यमंत्री पद डीके शिवकुमार को देने की मांग अब तेज हो गई है, वहीं सिद्धारमैया खेमे के नेता इसे अस्थिरता फैलाने वाली कवायद बता रहे हैं।

डीके शिवकुमार के प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ने के संकेत देने के बाद स्थिति और अधिक नाजुक हो गई है। कांग्रेस आलाकमान को डर है कि यदि मामला तुरंत नहीं संभाला गया तो सरकार में बड़ा राजनीतिक संकट पैदा हो सकता है।

दिल्ली में आज पल-पल बदल रहे समीकरण

कर्नाटक के भीतर चल रही खींचतान अब सीधे दिल्ली दरबार में पहुंच चुकी है।
विधायक एकजुट होकर दावा कर रहे हैं—
“वादे के अनुसार अब नेतृत्व परिवर्तन हो।”

सिद्धारमैया सरकार ढाई साल पूरे कर चुकी है और ठीक इसी समय डीके खेमे की यह सक्रियता कांग्रेस हाईकमान के लिए चुनौती बन गई है।

कर्नाटक की राजनीति में आने वाले दिनों में तेजी से बदलाव देखने की पूरी संभावना है।

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