Friday, November 21

छिंदवाड़ा में दवा गुणवत्ता पर बड़ा खुलासा: 7 आयुर्वेदिक दवाएं लैब टेस्ट में फेल, बिक्री पर तुरंत रोक

छिंदवाड़ा: जिले में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर एक बार फिर गंभीर चिंता पैदा हो गई है। बिछुआ क्षेत्र में 5 महीने की बच्ची की संदिग्ध मौत के बाद की गई जांच में 7 आयुर्वेदिक दवाएं लैब टेस्ट में असुरक्षित और अमानक (NSQ) पाई गई हैं। रिपोर्ट सामने आने के बाद आयुष विभाग ने इन दवाओं की बिक्री, भंडारण और वितरण पर तत्काल रोक लगा दी है।

मृत बच्ची को दी गई दवाओं से खुला मामला

30 अक्टूबर को बिछुआ कस्बे के संदीप मिनोट अपनी बीमार बच्ची के लिए दवा लेने एक मेडिकल स्टोर पहुंचे थे। सर्दी-खांसी के इलाज के लिए उन्हें कासामृत सिरप और 16 पुड़िया दवाओं का पैकेट दिया गया। दवा देने के कुछ समय बाद ही बच्ची की तबीयत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई।

परिजनों की शिकायत पर आयुष विभाग ने दवाओं के सैंपल लेकर ग्वालियर लैब भेजे।

  • रिपोर्ट में कासामृत सिरप स्टैंडर्ड पाया गया,
  • लेकिन पुड़िया में दी गई दवाएं गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो गईं।

इसके बाद जिले में बिक रही कई अन्य दवाओं की जांच की गई, जिसमें 7 आयुर्वेदिक दवाएं अमानक पाई गईं।

किन दवाओं पर लगाई गई रोक – तुरंत नोट कर लें नाम

आयुष विभाग के अनुसार, निम्न दवाएं लैब टेस्ट में असफल मिली हैं और इनकी बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है—

  1. गिलोय सत्व
  2. कासामृत सिरप
  3. कामदुधा रस
  4. प्रवाल पिष्टी
  5. मुक्ता शक्ति भस्म
  6. लक्ष्मी विलास रस
  7. कफकुठार रस

इन दवाओं के बैच नंबर वर्ष 2025 से 2034 तक एक्सपायरी वाले बताए जा रहे हैं।

इन कंपनियों की दवाएं पाई गईं असुरक्षित

जिन कंपनियों की दवाएं अमानक गुणवत्ता वाली पाई गईं, उनमें शामिल हैं—

  • Unit-II Shree Dhanwantri Herbals, सोलन (हिमाचल प्रदेश)
  • Dabur India Ltd., साहिबाबाद (उत्तर प्रदेश)
  • Shivayu Ayurved Ltd., औरंगाबाद (महाराष्ट्र)

जिला आयुष अधिकारी ने निर्देश जारी करते हुए कहा है कि ये दवाएं जनस्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकती हैं।

दवा स्टॉक हटाने के लिए 2 दिन की समय-सीमा

आयुष विभाग ने सभी आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्रों, डिस्पेंसरी, अस्पतालों और मेडिकल स्टोर्स को आदेश दिया है कि—

  • इन दवाओं को फौरन स्टॉक से हटाएं,
  • इनका उपयोग या बिक्री किसी भी स्थिति में न करें,
  • और दो दिनों के भीतर स्टॉक हटाने की रिपोर्ट कोर टीम को भेजें।

यदि किसी भी केंद्र पर ये दवाएं पाई गईं, तो संबंधित अधिकारी पर आयुर्वेद औषधि नियम 1940 और नियमावली 1945 के तहत कार्रवाई होगी।

महत्वपूर्ण स्वास्थ्य निर्णय

हाल ही में जिले में जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत के मामलों के बाद छिंदवाड़ा प्रशासन दवाओं की गुणवत्ता को लेकर बेहद सतर्क है। इस बड़े कदम को जनता के स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण कार्रवाई माना जा रहा है।

जांच जारी, और भी खुलासे संभव

आयुष विभाग पूरे मामले की गहन जांच कर रहा है और आने वाले दिनों में और बड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।

जिला प्रशासन ने अपील की है कि लोग इन दवाओं का उपयोग न करें और यदि ये घर में मौजूद हों तो तुरंत नष्ट कर दें।

Leave a Reply