
छतरपुर/अयोध्या। बागेश्वरधाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा अंतिम चरण में है। यात्रा जैसे-जैसे अयोध्या के करीब पहुंची, लोगों की भीड़ भी बढ़ती चली गई। इसी दौरान एक दृश्य ऐसा सामने आया जिसने धार्मिक सौहार्द की मिसाल पेश की—मुस्लिम समुदाय के दो युवा सलमान और शाहरुख खान ने धीरेंद्र शास्त्री का स्वागत किया।
धर्म-संप्रदाय की सीमाओं को पार करते हुए दोनों युवकों ने हाथ जोड़कर पदयात्रा का अभिनंदन किया, जिसे शास्त्री ने भी बड़े प्रेम से स्वीकारा और उनका हाथ थामकर महत्वपूर्ण संदेश दिया।
“देश सबका है… दंगा होगा तो नुकसान सबका होगा”
मुस्लिम युवकों का स्वागत स्वीकार करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने कहा—
“अपने समुदाय के युवाओं को समझाइए कि यह देश सभी का है। अगर देश में दंगा होगा तो नुकसान देश का भी होगा और आपका भी। आपकी कौम बदनाम होगी।”
उन्होंने कहा कि हम अब्दुल कलाम जैसे महान व्यक्तित्व को सैल्यूट करते हैं, रसखान और रहीम के दोहे पढ़ते हैं। भारत की पहचान हमेशा से आपसी प्रेम, भाईचारे और साझा संस्कृति की रही है।
“देश जितना हिंदुओं का, उतना ही मुसलमानों का भी”
धीरेंद्र शास्त्री ने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि समय के साथ कुछ सकारात्मक बदलाव जरूरी हैं।
उन्होंने कहा कि मदरसों और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाले युवाओं को यह बताया जाना चाहिए कि—
“देश जितना हिंदुओं का है, उतना ही मुसलमानों का भी है।”
उन्होंने कहा कि समाज तभी सुरक्षित और मजबूत बनेगा जब सभी समुदाय एकता के साथ खड़े होंगे।
दिल्ली ब्लास्ट पर प्रतिक्रिया— “गंदा और बुरा हुआ”
देश में हाल में हुए दिल्ली ब्लास्ट पर शास्त्री ने कहा कि यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।
उन्होंने कहा—
“हम पदयात्रा इसलिए कर रहे हैं कि देश बचे। देश सुरक्षित रहेगा तो संविधान भी सुरक्षित रहेगा। हमें मुसलमानों से दिक्कत नहीं है, बल्कि उस राष्ट्र-विरोधी सोच से है।”
7 नवंबर को छतरपुर से शुरू हुई थी यात्रा
धीरेंद्र शास्त्री की सनातन हिंदू एकता पदयात्रा 7 नवंबर को छतरपुर मंदिर से शुरू हुई थी। बड़ी संख्या में भक्त और श्रद्धालु इस यात्रा से जुड़े।
यात्रा का समापन 16 नवंबर को वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर में होगा, जहां विशेष पूजन और भव्य आरती का आयोजन किया जाएगा।
इस पदयात्रा का उद्देश्य है—धर्म, राष्ट्रप्रेम और सामाजिक एकता का संदेश देशभर में पहुंचाना।
अयोध्या पहुँचने से पहले मुस्लिम युवकों द्वारा दिया गया स्वागत का संदेश यह दर्शाता है कि भारत की असली पहचान साम्प्रदायिक सौहार्द, प्रेम और एकता में ही बसी है।