
फरीदाबाद (हरियाणा) के धौज गांव का नाम कभी न्यायपालिका, सेना और प्रतिष्ठित पेशेवरों से जुड़ा हुआ था, लेकिन अब यह गांव एक नई और चिंताजनक पहचान के साथ चर्चा में है। एक समय इस गांव से तीन जज, करीब 250 वकील और 20 से ज्यादा फौजी निकल चुके हैं, लेकिन हाल के वर्षों में यहां की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। गांव के युवाओं में बढ़ते नशे की प्रवृत्ति और इसे फैलाने में बाहरी छात्रों का हाथ होने की बातें सामने आ रही हैं।
अल-फलाह यूनिवर्सिटी और नशे का बढ़ता असर
ग्रामीणों का कहना है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू होने के बाद, अन्य राज्यों से छात्रों का आना शुरू हुआ, और उसके साथ ही गांव के युवाओं में नशे की लत बढ़ने लगी। पहले खेती और नौकरी में व्यस्त रहने वाले युवाओं का जीवन अब नशे की गिरफ्त में फंस चुका है।
ग्रामीणों के मुताबिक, यूनिवर्सिटी में आने वाले बाहरी छात्रों ने न सिर्फ अपने खर्चों पर नशे की लत लगाई, बल्कि गांव के युवाओं को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया। पहले जो युवा अपने काम से मतलब रखते थे, अब उनकी प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं। नशे की लत ने पूरे गांव को प्रभावित किया है, और यह सारा जाल अब आसपास के अन्य गांवों तक फैल चुका है। खोरी, जलालपुर, सिरोही, और फतेहपुर तगा जैसे गांव भी अब नशे के बढ़ते प्रभाव से जूझ रहे हैं।
पैसों के लालच ने बढ़ाया नशे का कारोबार
यहां तक कि कुछ ग्रामीणों ने चुपके से बताया कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने न केवल गांव का माहौल बदला, बल्कि नशे के कारोबार को भी बढ़ावा दिया। छात्रों द्वारा नशे की लत के लिए पैसे देने का लालच दिया गया, और यह काम पूरे क्षेत्र में फैल गया।
गांव की पहचान का संकट
एक समय था जब धौज गांव का नाम मान-प्रतिष्ठा, कानून और सेना से जुड़ा हुआ था, लेकिन अब यह नाम नशे और संदिग्ध गतिविधियों से जुड़ने लगा है। इस बदलाव से गांव के लोग खुद को शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं। उनकी चिंता यह है कि अब उनके बच्चों के भविष्य का क्या होगा, और गांव की प्रतिष्ठा को कैसे वापस लाया जा सकता है।
अब सवाल यह है कि इस बदलती हुई तस्वीर को कैसे सुधारा जाए?
गांव के बुजुर्गों और युवाओं को यह समझने की आवश्यकता है कि इस गंभीर समस्या से उबरने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। केवल सरकारी कार्रवाई से ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग को इस बुराई को खत्म करने में योगदान देना होगा।