
टोक्यो, संवाददाता: हिंद प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट जापान पहुंचे और भारतीय पायलटों ने जापानी एफ-15 जेट उड़ाकर सामरिक ताकत का प्रदर्शन किया। यह कदम चीन और रूस की सैन्य तैयारियों के बीच क्वॉड देशों—भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया—के बीच बढ़ते सहयोग का संकेत है।
🔹 जापान में भारतीय सुखोई-30 का स्वागत
जापानी सेना ने अपने कोमात्सु एयर बेस पर भारतीय सुखोई-30 एमकेआई जेट का स्वागत किया। 5 और 6 नवंबर को दोनों देशों के पायलटों ने संयुक्त हवाई अभ्यास किया, जिसमें दुश्मन के इलाके में सटीक हमलों और हवाई खतरे से निपटने का अभ्यास शामिल था। भारतीय पायलटों ने इस दौरान जापानी एफ-15 जेट का भी अनुभव लिया, जिससे दोनों देशों के बीच भरोसे और सहयोग की मिसाल पेश हुई।
🔹 सुखोई-30 की ताकत और चीन की चिंता
भारत का सुखोई-30 जेट रूस द्वारा निर्मित है और ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों और भारी बमों के इस्तेमाल में सक्षम है। इस जेट की ताकत से जापानी पायलट भी परिचित हुए। इससे चीन को भी झटका लगा है, क्योंकि उसे लगता है कि भारत और जापान की दोस्ती उसकी सैन्य विस्तार योजनाओं पर असर डाल सकती है।
🔹 एफ-15 उड़ाने का अनुभव
भारतीय पायलटों को जापानी एफ-15 जेट का अनुभव भी मिला। अमेरिकी एफ-15 दुनिया के बेहतरीन डॉगफाइट जेट में से एक माना जाता है। भारत पर अमेरिका द्वारा एफ-35 जेट खरीदने का दबाव है, लेकिन अभी तक इसकी मंजूरी नहीं मिली है। वहीं, भारत भविष्य में रूसी सुखोई-57 जेट खरीदने पर विचार कर रहा है।
🔹 हिंदुस्तान और जापान की बढ़ती साझेदारी
हाल के वर्षों में क्वॉड सदस्य देशों के बीच सहयोग मजबूत हुआ है। एयरफोर्स से लेकर नेवी तक दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी बढ़ी है। भारतीय युद्धपोत हाल ही में जापान के दौरे पर भी गए थे। इस साझेदारी से चीन को लगता है कि उसकी क्षेत्रीय गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
भारत और जापान का यह संयुक्त हवाई अभ्यास स्पष्ट संदेश देता है कि हिंदुस्तान की सैन्य ताकत और रणनीतिक दोस्ती क्षेत्र में किसी भी तरह के खतरे के खिलाफ सशक्त ढाल बन सकती है।