Thursday, November 13

कोड वर्ड्स, नाम और फोन नंबरों से खुला दिल्ली ब्लास्ट का नेटवर्क: डॉ. उमर और मुजम्मिल की डायरी ने खोले चौंकाने वाले राज

फरीदाबाद। 10 नवम्बर को दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए धमाके की जांच में अहम खुलासा सामने आया है। जांच एजेंसियों को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के दो डॉक्टरों — डॉ. उमर उन नबी और डॉ. मुजम्मिल शकील गनाई — के हॉस्टल कमरों से डायरी और कॉपियां बरामद हुई हैं, जिनमें कई कोड वर्ड्स, नाम, फोन नंबर और तारीखें दर्ज थीं।

जांच से पता चला है कि ये दोनों पिछले दो साल से कई आतंकी हमलों की साजिश रच रहे थे। डायरी में बार-बार “ऑपरेशन” शब्द लिखा मिला, जिससे संकेत मिलता है कि दोनों 8 से 12 नवम्बर के बीच किसी बड़े हमले की योजना बना रहे थे।

🔹 डायरी में मिले अहम सबूत

  • उमर का कमरा नंबर 4 और मुजम्मिल का कमरा नंबर 13 था।
  • डायरी में 25 से 30 लोगों के नाम दर्ज थे, जिनमें ज्यादातर जम्मू-कश्मीर, फरीदाबाद और आसपास के क्षेत्र के थे।
  • इससे सुरक्षा एजेंसियों को इस ‘व्हाइट कोट टेरर मॉड्यूल’ के नेटवर्क का खाका समझने में मदद मिली।
  • यूनिवर्सिटी से जुड़े कई कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया, जिसमें अल-फलाह हॉस्पिटल का एक कंपाउंडर भी शामिल है।

🔹 संदिग्ध गतिविधियां और बरामद सामग्री

  • एनआईए और एटीएस ने दोनों डॉक्टरों के हॉस्टल कमरों से करीब 3,000 किलो अमोनियम नाइट्रेट, विस्फोटक सामग्री और संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए।
  • डायरी में लिखे कोडवर्ड्स और तारीखें यह संकेत देते हैं कि धमाका 8-12 नवम्बर के बीच होने वाला बड़ा ऑपरेशन का हिस्सा हो सकता है।
  • फरीदाबाद के खंडावली गांव से लाल रंग की फोर्ड इकोस्पोर्ट कार (DL10CK-0458) बरामद की गई, जो उमर की बताई जा रही है।

🔹 सोशल मीडिया और कट्टरपंथी रुझान

  • मुजम्मिल के सोशल मीडिया अकाउंट से पता चला कि उसने अतीत में अफजल गुरु के समर्थन में पोस्ट की थीं।
  • जांच एजेंसियों का मानना है कि उमर और मुजम्मिल ने नेटवर्क के अन्य लोगों से संपर्क साधकर धमाके की योजना बनाई थी।

🔹 जांच एजेंसियों की सक्रियता

  • ब्लास्ट के बाद फरीदाबाद, गुरुग्राम और दिल्ली-एनसीआर में कई छापेमारी की गई।
  • यूनिवर्सिटी में एटीएस, एनआईए और स्थानीय पुलिस की टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं।
  • डायरी और बरामद दस्तावेज़ों से अब तक ब्लास्ट के पूरा नेटवर्क और संभावित योजनाओं की दिशा स्पष्ट हो रही है।

निष्कर्ष:

डॉ. उमर और मुजम्मिल की डायरी ने दिल्ली ब्लास्ट के पीछे की साजिश और नेटवर्क के चौंकाने वाले राज खोले हैं। सुरक्षा एजेंसियां अब इस मॉड्यूल के अन्य संभावित सदस्यों की पहचान और उनके इरादों की पड़ताल कर रही हैं। छात्रों और यूनिवर्सिटी स्टाफ के बीच डर और बेचैनी का माहौल जारी है।

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