
फरीदाबाद की यूनिवर्सिटी की छवि पर उठे सवाल, जांच में जुटी दिल्ली पुलिस और प्रशासन
नई दिल्ली: हाल ही में लाल किले के पास हुए दिल्ली धमाके में फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम सुर्खियों में है। धमाके से जुड़े मॉड्यूल में शामिल तीन डॉक्टर – उमर उन नबी, मुजम्मिल अहमद गनाई और शाहीन शाहिद – इसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे। धमाके में नौ लोगों की मौत और कई लोग घायल हुए थे।
यूनिवर्सिटी के मैनेजिंग ट्रस्टी जावेद अहमद सिद्दीकी नौ कंपनियों में डायरेक्टर हैं। इन कंपनियों का कार्यक्षेत्र निवेश, शिक्षा, सॉफ्टवेयर, ऊर्जा, निर्यात और कंसल्टेंसी तक फैला हुआ है। सिद्दीकी ने 18 सितंबर 1992 को अल-फलाह इन्वेस्टमेंट से अपने जुड़ाव की शुरुआत की थी। इसके अलावा वे अल-फलाह सॉफ्टवेयर, अल-फलाह एनर्जीज, तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन और अल-फलाह एजुकेशन सर्विस जैसी कंपनियों में भी शामिल हैं।
पुराना एफआईआर:
सिद्दीकी और उनके भाई सऊद अहमद का नाम 2000 में दर्ज एक एफआईआर (नंबर 43/2000) में आया था। इस मामले में 420, 406, 409, 468, 471 और 120बी जैसी आईपीसी की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे। आरोप थे कि एक इन्वेस्टमेंट स्कीम के जरिए 7.5 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई। शिकायतकर्ताओं में केआर सिंह भी शामिल थे।
यूनिवर्सिटी का रुख:
अल-फलाह यूनिवर्सिटी के अधिकारी और वाइस-चांसलर प्रो. भूपिंदर कौर आनंद ने स्पष्ट किया कि यूनिवर्सिटी का इन डॉक्टरों के व्यक्तिगत मामलों से कोई संबंध नहीं है। उनके अनुसार, यूनिवर्सिटी ने जांच में पूरी सहयोग की है।
लीगल और फाइनेंस ऑफिसर मोहम्मद रजी ने बताया कि यूनिवर्सिटी की प्रयोगशालाओं में विस्फोटक सामग्री रखना संभव नहीं है और छात्रों की शिक्षा पर किसी भी तरह का असर नहीं होना चाहिए।
यूनिवर्सिटी का विवरण:
अल-फलाह यूनिवर्सिटी का कैंपस 78 एकड़ में फैला है। इसकी शुरुआत 1997 में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में हुई थी। यूनिवर्सिटी का दिल्ली स्थित ऑफिस जामिया नगर, ओखला में है, जो एक शांत इलाके में स्थित रिहायशी बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित है।
यह मामला फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी और इसके ट्रस्टी की छवि पर सवाल उठाता है, जबकि जांच एजेंसियां आतंकवाद से जुड़े मॉड्यूल की गहन जांच में जुटी हैं।