
मेरठ/रामबाबू मित्तल: दिल्ली लालकिला में हुए आतंकी धमाके ने एक परिवार की जिंदगी उजाड़ दी। मेरठ के 32 वर्षीय मोहसिन की मौत ने परिजनों के दिलों में गहरा शोक और संघर्ष छोड़ दिया। मंगलवार सुबह दिल्ली पुलिस शव लेकर मेरठ पहुंची, लेकिन मौत के बाद जनाजा ही संघर्ष का केंद्र बन गया।
पत्नी और सास के बीच जनाजा विवाद
- मोहसिन की मां ने बेटे को मेरठ में ही दफनाने की ठान ली।
- जबकि पत्नी सुल्ताना अपने पति को दिल्ली ले जाकर सुपुर्द-ए-खाक करना चाहती थी।
- दोनों पक्षों में विवाद इतना बढ़ गया कि जनाजा घर से निकल भी गया, लेकिन पुलिस ने बीच रास्ते में रोक दिया।
- मोहल्ले वाले और परिजन पुलिस से भिड़ गए, माहौल तनावपूर्ण हो गया।
बहू के प्यार के आगे सास ने किया बलिदान
- इस बीच सुल्ताना दिल्ली से मेरठ पहुंची और सास के सामने रोते हुए दुपट्टा फैला दिया।
- उसने कहा, “अम्मी, मुझे मेरे मोहसिन का जनाजा दे दो, मैं उसे दिल्ली ले जाऊंगी।”
- इस भावनात्मक दृश्य ने मोहसिन की सास का दिल पिघला दिया और उन्होंने भारी मन से बेटे का शव बहू को सौंपने की इजाजत दे दी।
जनाजा दिल्ली रवाना, बच्चों की मासूमियत में मातम
- शाम करीब पांच बजे सुल्ताना पति का जनाजा लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुई।
- मोहल्ले में मातम का सन्नाटा छा गया।
- मोहसिन के दो छोटे बच्चे बार-बार पूछते रहे, “अब्बू कब आएंगे?”
नोट: यह दर्दनाक घटना केवल परिवार की नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है कि आतंकवाद का असर सीधे आम इंसानों की जिंदगी पर पड़ता है।