Saturday, December 27

‘सपने में भी नहीं सोचा था…’ ऑपरेशन सिंदूर के नन्हे हीरो को मिला पीएम बाल पुरस्कार, भावुक होकर साझा की दिल की बात

 

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नई दिल्ली। देशभक्ति उम्र की मोहताज नहीं होती—इस बात को सच कर दिखाया है ऑपरेशन सिंदूर के नन्हे नायक श्रवण ने। सीमावर्ती इलाके में चल रहे सैन्य अभियान के दौरान भारतीय सैनिकों की निस्वार्थ सेवा करने वाले इस बालक को अब उसकी बहादुरी और समर्पण के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सम्मान मिलने के बाद श्रवण की आंखों में खुशी और शब्दों में सादगी साफ झलक रही थी।

 

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, जब भारतीय सेना दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दे रही थी, उसी समय श्रवण ने भी अपने तरीके से देशसेवा का बीड़ा उठाया। उसने मोर्चे पर तैनात जवानों तक दूध, चाय, लस्सी और बर्फ जैसे जरूरी सामान लगातार पहुंचाकर उनका हौसला बढ़ाया। श्रवण ने कहा,

“जब हमारे गांव में हमारी रक्षा के लिए फौजी आए, तो मैंने सोचा कि मैं भी अपने देश के जवानों की सेवा करूं। आज इतना बड़ा सम्मान मिलेगा, ये मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।”

 

इस नन्हे सिपाही की सेवा भावना और साहस को देश ने सलाम किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक भव्य समारोह में श्रवण सहित 20 प्रतिभाशाली, साहसी और देशप्रेमी बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार प्रदान किए। यह पुरस्कार वीरता के साथ-साथ सामाजिक सेवा, पर्यावरण संरक्षण, खेल, कला एवं संस्कृति तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में असाधारण योगदान देने वाले बच्चों को दिया गया।

 

समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने पुरस्कार विजेता बच्चों को बधाई दी और कहा कि इन बच्चों ने न केवल अपने परिवार और समुदाय, बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा हैं और राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य की नींव हैं।

 

ऑपरेशन सिंदूर के इस नन्हे हीरो की कहानी यह साबित करती है कि जब दिल में देश के लिए जज़्बा हो, तो उम्र और साधन कभी बाधा नहीं बनते। श्रवण आज सिर्फ एक बाल पुरस्कार विजेता नहीं, बल्कि देशभर के बच्चों के लिए देशभक्ति की जीवंत मिसाल बन चुका है।

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