
नई दिल्ली। ग्रामीण अधिकारों और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को लेकर कांग्रेस एक बार फिर आक्रामक रुख अपनाने जा रही है। शनिवार सुबह 10:30 बजे दिल्ली में होने जा रही कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) की अहम बैठक में पार्टी देशव्यापी जन आंदोलन की रणनीति को अंतिम रूप देगी। बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे करेंगे, जबकि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी इसमें शामिल होंगे।
सूत्रों के मुताबिक, बैठक का मुख्य एजेंडा मनरेगा की जगह लाए गए ‘वीबी–जी राम जी’ बिल और अरावली पहाड़ियों से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दे होंगे। कांग्रेस इस नए कानून को ग्रामीण भारत के अधिकारों पर सीधा हमला मान रही है और इसके खिलाफ सड़क से संसद तक संघर्ष छेड़ने की तैयारी में है।
मनरेगा पर हमला, जन आंदोलन की तैयारी
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि वीबी–जी राम जी बिल के जरिए मनरेगा के मूल स्वरूप को कमजोर कर दिया गया है। पार्टी का आरोप है कि यह कानून ग्रामीण गरीबों को मिलने वाली रोजगार गारंटी को सीमित करता है और ग्राम पंचायतों के अधिकारों को छीनकर केंद्र सरकार के हाथों में सौंप देता है।
CWC बैठक में इस मुद्दे पर देशव्यापी जन आंदोलन, धरना–प्रदर्शन और जनसभाओं की विस्तृत रूपरेखा तय की जाएगी, जिसे सभी राज्यों में एकसाथ लागू किया जाएगा।
जयराम रमेश का केंद्र पर हमला
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश पहले ही सरकार पर तीखा हमला बोल चुके हैं। उन्होंने कहा है कि मनरेगा तीन मजबूत स्तंभों पर टिका था—ग्रामीण गरीबों को रोजगार की गारंटी, स्थानीय बुनियादी ढांचे का विकास और ग्राम पंचायतों को निर्णय का अधिकार। नया कानून इन तीनों आधारों को कमजोर करता है और विकेंद्रीकरण की भावना को खत्म करता है।
अरावली पहाड़ियों पर भी मंथन
बैठक में अरावली पहाड़ियों के संरक्षण से जुड़े मुद्दे पर भी विस्तार से चर्चा होगी। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार की नीतियों से अरावली का पर्यावरणीय संतुलन खतरे में है। इस मुद्दे पर चल रहे आंदोलनों को और तेज करने की रणनीति पर विचार किया जाएगा।
बैठक में कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल होंगे, जिससे आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती देने का संकेत मिल रहा है।
सियासी गर्मी बढ़ने के आसार
CWC की यह बैठक आने वाले दिनों में कांग्रेस की राजनीतिक दिशा तय करने वाली मानी जा रही है। ग्रामीण अधिकारों और पर्यावरण के सवाल पर कांग्रेस का यह आंदोलन केंद्र सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है। अब सबकी निगाहें इस बैठक के बाद होने वाले ऐलानों और सड़कों पर उतरने वाली कांग्रेस की रणनीति पर टिकी हैं।