Saturday, December 27

उन्नाव रेप पीड़िता के समर्थन में यूथ कांग्रेस का कैंडल मार्च, सेंगर को जमानत पर जताया कड़ा विरोध

 

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नई दिल्ली। उन्नाव बलात्कार और हत्या मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत दिए जाने के फैसले के खिलाफ देश की राजनीति और सड़कों पर विरोध तेज हो गया है। इसी क्रम में इंडियन यूथ कांग्रेस ने पीड़िता के समर्थन में राजधानी दिल्ली में कैंडल मार्च निकालते हुए न्याय की जोरदार मांग की।

 

शनिवार को यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी मनीष शर्मा और राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिब के नेतृत्व में कार्यकर्ता केरल भवन के पास एकत्र हुए। हाथों में मोमबत्तियां लेकर और पीड़िता के समर्थन में नारे लगाते हुए कार्यकर्ताओं ने जंतर-मंतर तक मार्च किया। इस दौरान दोषी को मिली जमानत को रद्द करने और पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गई।

 

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए उदय भानु चिब ने कहा कि एक दोषी बलात्कारी को जमानत मिलना बेहद परेशान करने वाला और शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि “जहां एक तरफ दोषी को राहत दी जा रही है, वहीं दूसरी ओर पीड़िता आज भी डर, असुरक्षा और उत्पीड़न का सामना कर रही है। न्याय, सम्मान और सुरक्षा पीड़िता का मौलिक अधिकार है।”

उन्होंने यह भी कहा कि जब रेप और मर्डर जैसे जघन्य अपराध में उम्रकैद की सजा पाए व्यक्ति को कुछ ही वर्षों में राहत मिल जाती है, तो यह पूरे समाज के लिए शर्मिंदगी की बात है।

 

इसी बीच, मामले में एक अहम कानूनी पहलू भी सामने आया है। सीबीआई ने दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा कुलदीप सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित कर जमानत दिए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने इस संबंध में शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल कर दी है, जिससे मामले में अब न्यायिक स्तर पर नई बहस शुरू होने की संभावना है।

 

वहीं, उन्नाव रेप पीड़िता ने भी इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि वह डरेंगी नहीं और उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। पीड़िता ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि एक नागरिक के तौर पर सवाल उठाना उनका और जनता का अधिकार है। उन्होंने कहा, “हर जज एक जैसा नहीं होता, मुझे न्याय मिलेगा।”

 

पीड़िता ने यह भी चिंता जताई कि सेंगर को जमानत मिलने से उसके परिवार की सुरक्षा और आजीविका पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। हालांकि, फिलहाल कुलदीप सेंगर जेल से बाहर नहीं आ पाएगा, क्योंकि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत से जुड़े मामले में 10 साल की सजा भी काट रहा है।

 

उन्नाव कांड एक बार फिर देश की न्याय व्यवस्था, महिलाओं की सुरक्षा और राजनीतिक जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं, जहां से इस संवेदनशील मामले में निर्णायक दिशा मिलने की उम्मीद की जा रही है।

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