
लखनऊ।
उत्तर प्रदेश के बुनियादी ढांचे को नई ऊंचाई देने वाला गंगा एक्सप्रेस-वे अब लगभग बनकर तैयार है। करीब 594 किलोमीटर लंबे इस अत्याधुनिक एक्सप्रेस-वे के पूरा होने से मेरठ से प्रयागराज की दूरी महज 6 घंटे में तय की जा सकेगी, जो अभी 10 से 12 घंटे तक लगती है। यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण) के अधिकारियों के अनुसार जल्द ही इस पर ट्रायल रन शुरू किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, 15 जनवरी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बहुप्रतीक्षित परियोजना का उद्घाटन कर सकते हैं। गंगा एक्सप्रेस-वे प्रदेश की कनेक्टिविटी को मजबूत करने के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों को भी तेज गति देगा।
12 जिलों को जोड़ेगा एक्सप्रेस-वे
गंगा एक्सप्रेस-वे मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, हरदोई, शाहजहांपुर, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज जैसे 12 जिलों से होकर गुजरेगा। इससे पश्चिमी, मध्य और पूर्वी उत्तर प्रदेश के बीच आवागमन पहले से कहीं अधिक आसान और तेज हो जाएगा।
1498 बड़े स्ट्रक्चर, आधुनिक सुविधाएं
इस 594 किमी लंबे एक्सप्रेस-वे पर 1498 बड़े स्ट्रक्चर बनाए गए हैं, जो इसकी मजबूती और आधुनिक डिजाइन को दर्शाते हैं। यह एक्सप्रेस-वे न सिर्फ यात्रियों के समय की बचत करेगा, बल्कि लॉजिस्टिक्स, व्यापार और पर्यटन को भी बड़ा बढ़ावा देगा।
7742 करोड़ रुपये की लागत, चार चरणों में निर्माण
गंगा एक्सप्रेस-वे का निर्माण 7742 करोड़ रुपये की लागत से चार चरणों में किया गया है।
पहला चरण: आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डिवेलपर्स द्वारा 1746 करोड़ रुपये में
शेष तीन पैकेज: अडाणी एंटरप्राइसेस द्वारा
दूसरा पैकेज: 1720 करोड़ रुपये
तीसरा पैकेज: 2177 करोड़ रुपये
चौथा पैकेज: 2099 करोड़ रुपये
जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भी जुड़ेगा
दिल्ली और एनसीआर से आने वाले यात्रियों के लिए यह एक्सप्रेस-वे और भी उपयोगी होगा। राज्य सरकार गंगा एक्सप्रेस-वे को जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए हाल ही में पेश अनुपूरक बजट में 1246 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि गंगा एक्सप्रेस-वे के लिए कुल 1865 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।
विकास की नई धुरी बनेगा गंगा एक्सप्रेस-वे
गंगा एक्सप्रेस-वे को उत्तर प्रदेश के विकास का नया इंजन माना जा रहा है। यह न सिर्फ दूरी घटाएगा, बल्कि निवेश, रोजगार और औद्योगिक विकास के नए अवसर भी पैदा करेगा। प्रदेश की तस्वीर बदलने वाली यह परियोजना आने वाले वर्षों में यूपी को देश के सबसे मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर वाले राज्यों की कतार में खड़ा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।