
जालोर/जयपुर: राजस्थान के जालोर जिले में एक पंचायत ने बहुओं और बेटियों के कैमरे वाले स्मार्टफोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया, जो सामाजिक और कानूनी दृष्टि से विवादित साबित हो रहा है। 15 गांवों के पंचों द्वारा लिया गया यह फैसला 26 जनवरी से लागू होगा।
पंचायत के अध्यक्ष सुजनाराम चौधरी ने कहा कि यह निर्णय बच्चों की सेहत और आंखों पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए लिया गया। उनका कहना है कि बच्चों द्वारा मोबाइल स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से उनकी आंखें कमजोर हो सकती हैं।
वरिष्ठ IPS राहुल प्रकाश ने दी प्रतिक्रिया
जयपुर कमिश्नरेट के सीनियर IPS और स्पेशल पुलिस कमिश्नर राहुल प्रकाश ने इस मामले पर अपनी राय साझा की। उन्होंने कहा कि मोबाइल और सोशल मीडिया के उपयोग पर सीमा और दायरा तय करना सही है, लेकिन केवल बेटियों और बहुओं पर प्रतिबंध लगाना लिंग भेद पर आधारित और निंदनीय है। उन्होंने अपने वीडियो संदेश में कहा कि यह फैसला समाज और संविधान के मूल्यों के खिलाफ है।
राहुल प्रकाश ने आगे कहा कि सोशल मीडिया और स्मार्टफोन का उपयोग आज अनियंत्रित होता जा रहा है। इसलिए समाज, परिवार और कानून के नजरिए से इसका सही और संतुलित नियंत्रण आवश्यक है। इस दायरे का निर्धारण बातचीत, समझ और नियमन के माध्यम से होना चाहिए।
इस विवाद ने जालोर में पंचायतों द्वारा लिए जाने वाले सामाजिक फैसलों और महिलाओं के अधिकारों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे फैसलों में लिंग भेद से बचना और सभी के लिए समान नियम लागू करना आवश्यक है।