
नई दिल्ली।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह आज दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसियों में शामिल है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से बुधवार को इसरो ने ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च कर इतिहास रच दिया। इस मिशन में इसरो के शक्तिशाली ‘बाहुबली’ एलवीएम3-एम6 रॉकेट ने 6100 किलोग्राम वजनी उपग्रह को सफलतापूर्वक लो-अर्थ ऑर्बिट में स्थापित किया।
अब तक का सबसे भारी पेलोड, रिकॉर्ड बना एलवीएम3
यह एलवीएम3 रॉकेट द्वारा ले जाया गया अब तक का सबसे भारी पेलोड है। 43.5 मीटर ऊंचे और 640 टन वजन वाले इस रॉकेट ने महज 15 मिनट की उड़ान में अमेरिकी कंपनी AST SpaceMobile के ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 सैटेलाइट को 520 किलोमीटर की ऊंचाई पर 53 डिग्री इंक्लिनेशन वाली गोलाकार कक्षा में स्थापित कर दिया।
पीएम मोदी ने सराहा इसरो का पराक्रम
सुबह 8:54 बजे सेकेंड लॉन्च पैड से हुए इस ऐतिहासिक प्रक्षेपण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो की जमकर तारीफ की। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर इसे भारत के अंतरिक्ष सफर की एक बड़ी छलांग बताया और वैज्ञानिकों को बधाई दी।
एलवीएम3 की शत-प्रतिशत सफलता
ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 मिशन, एलवीएम3 रॉकेट सीरीज़ की छठी उड़ान थी और अब तक इसकी सफलता दर 100 प्रतिशत रही है। इससे पहले यही रॉकेट चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और वनवेब के 72 उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में स्थापित कर चुका है। यह मिशन वैश्विक स्तर पर मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी में बड़ा बदलाव लाने वाला माना जा रहा है।
जहां कई देश असफल रहे, वहां भारत ने बाज़ी मारी
इसरो की यह सफलता इसलिए भी खास मानी जा रही है, क्योंकि हाल के वर्षों में कई देशों को इसी तरह के अंतरिक्ष मिशनों में असफलता का सामना करना पड़ा है।
दक्षिण कोरिया का पहला व्यावसायिक ऑर्बिटल रॉकेट हनबिट-नैनो ब्राजील से लॉन्च के महज 30 सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
जापान को मार्च 2023 में बड़ा झटका लगा, जब उसका H3 रॉकेट दूसरे चरण में इंजन फेल होने के कारण मिशन पूरा नहीं कर सका और ALOS-3 उपग्रह नष्ट हो गया।
ब्राजील में वर्ष 2003 में अल्कांतारा स्पेस सेंटर पर रॉकेट विस्फोट में 21 वैज्ञानिकों की जान चली गई थी, जिससे वहां के अंतरिक्ष कार्यक्रम को वर्षों पीछे जाना पड़ा।
दुनिया में क्यों बज रहा इसरो का डंका
विशेषज्ञों का मानना है कि कम लागत, उच्च सटीकता और निरंतर सफलता इसरो को दुनिया की अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों से अलग बनाती है। जहां विकसित देश तकनीकी बाधाओं से जूझ रहे हैं, वहीं भारत लगातार जटिल मिशनों को अंजाम देकर वैश्विक अंतरिक्ष मानचित्र पर अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज करा रहा है।