
ढाका: कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में हिंसा की एक नई लहर फैल गई है। देश में कट्टरपंथी खुलेआम धमकियां और हमले कर रहे हैं, जिससे हिंदू समुदाय के लोग भय और असुरक्षा में जी रहे हैं।
एक बांग्लादेशी हिंदू ने इंडिया टुडे से कहा, “हम जिंदा हैं, लेकिन चलते-फिरते मुर्दों की तरह जी रहे हैं। अगर मेरी पहचान हो गई, तो मेरी जान को खतरा है।” हाल के हफ्तों में चटगांव, मैमनसिंह और दूरदराज के इलाकों में अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं। कई घरों में आग लगाई गई, परिवारों को जान बचाने के लिए झाड़ियों के रास्ते भागना पड़ा और मवेशी तथा संपत्ति तबाह हो गई।
महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता है। कई छात्राओं ने उच्च शिक्षा छोड़ दी है और परिवार सुरक्षा की वजह से उनकी जल्दी शादी करवा रहे हैं। आरोप है कि अपराधी स्थानीय नेताओं से जुड़े हैं और पुलिस अक्सर शिकायत दर्ज करने से इनकार करती है।
हाल ही में एक फैक्ट्री मजदूर दीपू चंद्र दास को ईशनिंदा के झूठे आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई और बाद में शव को जला दिया गया। पुलिस को बाद में बताया गया कि मामले में कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। इस घटना ने अल्पसंख्यकों के बीच खौफ और बढ़ा दिया है।
बांग्लादेश में यह स्थिति अल्पसंख्यकों के लिए गंभीर संकट बन चुकी है, और दुनिया इस हिंसा की आंखों देखा हाल देख रही है।