
नई दिल्ली। भारतीय करेंसी नोट से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर हटाने को लेकर एक बार फिर सियासी बहस तेज हो गई है। सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास ने दावा किया है कि मोदी सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है और इस मुद्दे पर एक उच्च-स्तरीय बैठक भी हो चुकी है। उनके इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है।
जॉन ब्रिटास ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए बयान में कहा कि आधिकारिक खंडन के बावजूद इस विषय पर पहले दौर की चर्चा हो चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय करेंसी से गांधी की तस्वीर हटाना देश के राष्ट्रीय प्रतीकों को नए सिरे से गढ़ने की एक बड़ी योजना का हिस्सा है। ब्रिटास के मुताबिक, यह अब सिर्फ अटकल नहीं रह गई है, बल्कि इसके पीछे ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह भी दावा किया गया है कि सरकार गांधी की तस्वीर के स्थान पर ऐसा विकल्प तलाश रही है, जो “भारतीय संस्कृति को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत” कर सके। इसमें ‘भारत माता’ की तस्वीर को संभावित विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, सरकार की ओर से इस दावे पर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
गौरतलब है कि इससे पहले भी इस तरह की चर्चाएं सामने आ चुकी हैं। वर्ष 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उन खबरों का खंडन किया था, जिनमें कहा गया था कि करेंसी नोट पर महात्मा गांधी की जगह अन्य महान विभूतियों की तस्वीरें छापने पर विचार हो रहा है। तब रवींद्रनाथ टैगोर और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम जैसे नामों की भी चर्चा हुई थी।
इतिहास पर नजर डालें तो महात्मा गांधी की तस्वीर पहली बार 1969 में उनकी 100वीं जयंती के अवसर पर भारतीय करेंसी पर छपी थी। इसके बाद से गांधी की तस्वीर भारतीय बैंक नोटों की पहचान बन गई और वह देश की मुद्रा के सबसे सशक्त प्रतीकों में गिनी जाती है।
फिलहाल, सीपीएम सांसद के इस दावे ने विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का एक और मौका दे दिया है, जबकि सरकार की ओर से औपचारिक प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है। यह मुद्दा आने वाले दिनों में राजनीतिक और वैचारिक बहस का केंद्र बन सकता है।