Monday, November 10

पाकिस्तान-चीन गठजोड़ से बढ़ी चिंता! भारत ने ताजिकिस्तान के अयनी एयरबेस से समेटा मोर्चा — क्या अब अगालेगा बनेगा नया सामरिक गढ़?

नई दिल्ली। भारत के सामरिक हितों को झटका देने वाली एक बड़ी खबर सामने आई है। ताजिकिस्तान में स्थित भारत का एकमात्र विदेशी एयरबेस ‘अयनी’ अब भारत के नियंत्रण में नहीं है। यह वही एयरबेस है, जो दो दशकों से मध्य एशिया में भारत की सामरिक मौजूदगी का प्रतीक था और जिससे पाकिस्तान से लेकर चीन तक की गतिविधियों पर नजर रखी जाती थी। सूत्रों के अनुसार, भारत ने 2022 से ही अयनी एयरबेस से अपने जवानों और सैन्य उपकरणों की वापसी शुरू कर दी थी, और अब यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

🔹 अयनी एयरबेस की रणनीतिक अहमियत

अयनी एयरबेस ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे से कुछ दूरी पर स्थित है। यह अफगानिस्तान के वखान कॉरिडोर से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर है — वही इलाका जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को चीन के शिंजियांग प्रांत से जोड़ता है।
इस एयरबेस से भारत को दो बड़े फायदे मिलते थे —

  1. पाकिस्तान पर हवाई नजर रखने की क्षमता।
  2. चीन की गतिविधियों की निगरानी करने का सामरिक लाभ।

2002 में भारत ने जब नॉर्दर्न अलायंस के समर्थन में अफगानिस्तान में तालिबान विरोधी मोर्चे को मजबूती दी, तभी से अयनी एयरबेस भारत की सामरिक रणनीति का हिस्सा बना। अगस्त 2021 में तालिबान शासन की वापसी के दौरान भारतीयों की सुरक्षित निकासी भी इसी एयरबेस के माध्यम से हुई थी।

🔹 भारत ने क्यों छोड़ा अयनी एयरबेस

भारत ने इस एयरबेस के आधुनिकीकरण पर करीब 80 मिलियन डॉलर खर्च किए थे। सीमा सड़क संगठन (BRO) ने यहां हैंगर, फ्यूल डिपो, और एटीसी टॉवर तक तैयार किया था। यहां एक समय लगभग 200 भारतीय जवान और कुछ सुखोई-30 MKI फाइटर जेट्स भी तैनात थे।
हालांकि, ताजिकिस्तान के साथ द्विपक्षीय समझौते की अवधि पूरी होने और राजनीतिक दबावों के बढ़ने के बाद भारत को यहां से हटना पड़ा।

🔹 चीन का तिकड़म और भारत के लिए खतरा

चौंकाने वाली बात यह है कि उपग्रह तस्वीरों में यह साफ हुआ है कि चीन अब ताजिकिस्तान में एक नया सैन्य बेस तैयार कर रहा है। भले ही बीजिंग ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया, लेकिन उसकी सैन्य गतिविधियां इस क्षेत्र में तेजी से बढ़ी हैं।
इसका मतलब यह हुआ कि जहां से भारत को पीछे हटना पड़ा, वहां चीन अपने पैर जमा रहा है। यह स्थिति भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है।

🔹 अगालेगा बनेगा नया ‘अयनी’?

हालांकि, भारत ने हाल ही में मॉरीशस के अगालेगा द्वीप पर एक नया सैन्य ठिकाना विकसित किया है, जो पश्चिम हिंद महासागर में स्थित है।
यहां भारत ने एक हवाई पट्टी और नौसैनिक जेटी का निर्माण किया है, जिसे सामरिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है। इससे भारत को हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी पर नजर रखने की सुविधा मिलेगी।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगालेगा द्वीप आने वाले समय में अयनी का रणनीतिक विकल्प बन सकता है।

🔹 भूटान और अन्य विकल्प

भारत ने भूटान में भी कई मिलिट्री ट्रेनिंग कैंप्स बनाए हैं, जो रॉयल भूटान आर्मी के प्रशिक्षण के लिए उपयोगी हैं। वहीं, हिंद महासागर क्षेत्र में भारत मालदीव, सेशेल्स और श्रीलंका के साथ भी सामरिक सहयोग बढ़ा रहा है।

🔹 विश्लेषण: बदलते भू-राजनीतिक समीकरण

अयनी एयरबेस से भारत की वापसी निश्चित रूप से चीन-पाकिस्तान गठजोड़ को बढ़त दे सकती है। मध्य एशिया में भारत की सीधी सैन्य मौजूदगी खत्म होने से रणनीतिक समीकरण बदलेंगे।
हालांकि, अगालेगा, भूटान और हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती उपस्थिति से भारत ने एक बार फिर यह संकेत दिया है कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए नए मोर्चे खोलने को तैयार है

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