
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान ने इस बार एक नया आर्थिक रिकॉर्ड बना दिया है। सरकारी दफ्तरों में अक्टूबर महीने के दौरान चलाए गए विशेष सफाई अभियान से सरकार को कबाड़ बेचकर 800 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई हुई है। यह रकम इतनी है कि इससे सात वंदे भारत ट्रेनों की खरीद की जा सकती है। साथ ही, इस अभियान से देशभर में 233 लाख वर्ग फुट सरकारी जगह भी खाली कराई गई है।
💰 कबाड़ से कमाई और जगह दोनों मिली
केंद्रीय कार्मिक मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि बीते पांच वर्षों में ऐसे अभियानों से सरकार कुल 4,100 करोड़ रुपये जुटा चुकी है। उन्होंने कहा कि यह राशि किसी बड़े स्पेस मिशन या चंद्रयान परियोजना के बजट के बराबर है।
उन्होंने बताया कि अब तक सरकार ने 923 लाख वर्ग फुट जगह को अनावश्यक फाइलों और पुराने सामान से मुक्त कराया है — यह इतनी जगह है कि उस पर एक विशाल मॉल या बड़ा सरकारी ढांचा बनाया जा सकता है।
🧹 विशेष स्वच्छता अभियान का आयोजन
सरकार ने वर्ष 2021 में यह निर्णय लिया था कि हर साल 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान का समन्वय प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग करता है, जिसमें 84 केंद्रीय मंत्रालय और विभाग मिलकर हिस्सा लेते हैं।
इस दौरान न केवल दफ्तरों की सफाई की जाती है, बल्कि पुराने दस्तावेजों को डिजिटाइज करने, लंबित फाइलों को निपटाने और अनुपयोगी वस्तुओं की ई-नीलामी (e-auction) से राजस्व बढ़ाने पर भी जोर दिया जाता है।
🚄 कबाड़ से ‘वंदे भारत’ तक
अभियान से हुई कमाई को लेकर सरकार ने एक दिलचस्प तुलना की है — 800 करोड़ रुपये में सात वंदे भारत ट्रेनें खरीदी जा सकती हैं। यह उपलब्धि दर्शाती है कि अगर सरकारी सिस्टम सुव्यवस्थित हो, तो ‘कचरा’ भी देश की तरक्की में बड़ा योगदान दे सकता है।
⚙️ कैसे चलता है यह अभियान
हर मंत्रालय और विभाग को अपने कार्यालयों की सफाई, पुराने रिकॉर्ड की समीक्षा और अनुपयोगी सामान की नीलामी की जिम्मेदारी दी जाती है। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) दफ्तरों के बाहरी हिस्सों की सफाई का जिम्मा संभालता है।
साथ ही, मंत्रालयों के सचिव और महानिदेशक स्वयं हर सप्ताह समीक्षा बैठकें करते हैं ताकि लंबित मामलों और फाइलों को तेजी से निपटाया जा सके।
👉 निष्कर्ष:
मोदी सरकार का यह “कबाड़ से कमाई” मॉडल अब न केवल स्वच्छता का प्रतीक बन गया है, बल्कि आर्थिक प्रबंधन और प्रशासनिक दक्षता का भी नया उदाहरण पेश कर रहा है।
कचरे को संपत्ति में बदलने की यह नीति साबित कर रही है कि “स्वच्छ भारत” केवल सफाई का नहीं, बल्कि विकास और नवाचार का भी अभियान है।